चंडीगढ़। पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर करीब 13 महीने से धरने पर बैठे आंदोलनकारी किसानों पर पंजाब सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा एक्शन लिया है। सरकार की ओर से इशारा मिलने के बाद पंजाब पुलिस ने बुधवार की देर रात बड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों सीमाओं से किसानों को हटा दिया है। वहीं गुरुवार सुबह पुलिस ने बैरिकेडिंग हटाने का काम शुरू कर दिया। पुलिस यहां वाहनों की आवाजाही शुरू कराएगी। बता दें कि किसान यहां 13 फरवरी-2024 से धरने पर बैठ थे। इससे पहले केंद्र सरकार और किसान संगठनों की बुधवार को चंडीगढ़ में बड़ी बैठक भी हुई थी। बैठक केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे, लेकिन यह बैठक भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद ही पंजाब सरकार ने धरने पर बैठे किसानों पर एक्शन लिया।
किसानों के टेंट को बुलडोजर से तहस-नहस कर दिया गया। करीब 800 किसान हिरासत में ले लिए गए। इनमें किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर भी शामिल हैं। डल्लेवाल को जालंधर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस कार्रवाई के दौरान किसानों व पुलिस के बीच जमकर हाथापाई भी हुई, जिमसें कुछ किसान नेताओं की पगड़ियां उतर गईं। सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर करीब 5000 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए हैं। वहीं, बॉर्डर एरिया में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। खासतौर पर खनौरी सीमा और आसपास के संगरूर और पटियाला जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पुलिस कार्रवाई के विरोध में प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर किसान सड़कों पर उतर आए। विपक्ष समेत सभी किसान नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है।
किसानों ने किया साफ: अभी नहीं खत्म हुआ आंदोलन
हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रशासनिक कार्रवाई के बाद समाप्त हो गया, लेकिन किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। किसान नेता तेजवीर सिंह ने कहा कि पुलिस सभी किसान नेताओं को पकड़ने में सफल नहीं हो पाई है और जल्द ही आगे की रणनीति की घोषणा की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई केंद्र सरकार के इशारे पर पंजाब सरकार द्वारा की गई है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा है कि केंद्र और पंजाब सरकार को किसानों पर की गई कार्रवाई का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने ऐलान किया कि आज सभी जिलों में डीसी आॅफिस के बाहर किसान प्रदर्शन करेंगे। शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने के बाद आंदोलनकारियों में रोष है। सतनाम सिंह पन्नू ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान झुकने वाले नहीं हैं।
किसानों पर अचानक सख्त हुई पंजाब सरकार
दरअसल, पंजाब सरकार 19 मार्च को अचानक किसानों पर सख्त होती नजर आई। शंभू-खनौरी बार्डर पर एक साल से ज्यादा समय से चल रहे आंदोलन पर पंजाब पुलिस एक्शन में आ गई और किसानों के अड्डों को बुलडोजर से नेस्तनाबूद कर दिया। ये एक्शन तब हुआ जब केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और किसान संगठनों के बीच चंडीगढ़ में सातवें दौर की बातचीत हुई। इसके तत्काल बाद पंजाब सरकार ने संगठन के प्रमुख किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटडा और अन्य को हिरासत में ले लिया। मीटिंग में बातचीत के लिए अगला दौर 4 मई को रखने की बात कही गई लेकिन इससे पहले ही पंजाब सरकार एक्टिव मोड में नजर आई और एकाएक किसान नेताओं को हिरासत में लेना शुरू किया और किसानों को अड्डों को खदेड़ दिया गया।
अंधेरे में पुलिस ने एक-एक किसान को धरनास्थल से खदेड़ा
पंजाब में बुलडोजर से किसानों के बनाए शेड भी तोड़ दिए गए। रात के अंधेरे में पुलिस ने एक एक किसान को धरनास्थल से हटा दिया। शंभू बार्डर के मुकाबले यहां पुलिस को कुछ खास विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। खनौरी बार्डर पर चार हजार पुलिस वाले एक्शन के लिए पहुंचे थे। अब यहां दो से तीन दिन पुलिस की तैनाती रहेगी। आरोप लग रहे हैं कि कारोबारियों की मांग पर पंजाब पुलिस एक्शन में आई और हाइवे को खोला गया है। हालांकि इस पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। सारी विरोधी पार्टियों ने एक साथ मिलकर आप सरकार की घेराबंदी की है। बीजेपी का आरोप है कि केंद्र के साथ बातचीत सफल ना हो जाए, इस डर से एक्शन हुआ है। आप ने जवाबी दलील दी कि हाइवे रुकने से राज्य की तरक्की रुक रही थी।