भोपाल। हर साल फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन करने की परंपरा है। होलिका दहन के साथ ही होली का खुमार भी चढ़ जाता है। इस साल आज गुरुवार की रात होलिका दहन किया जाएगा। इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है। जिसकी वजह से होलिका दहन के शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में संशय है। भद्रा दिन में 10:02 बजे से शुरू होकर रात 10:37 बजे तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन 10:37 बजे के बाद ही हो सकेगा।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा यदि निशीथ समय अर्थात अर्धरात्रि के समय से पहले समाप्त हो जाती है तो भद्रा समाप्ति पर ही होलिका दहन करना चाहिए। 13 मार्च को भद्रा 10:37 बजे तक रहेगी। इसलिए 12:36 बजे तक होलिका दहन करना शास्त्रोक्त रहेगा। इस बार होली पर 14 मार्च को सूर्यदेव का कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश रात्रि 9:24 बजे होगा। इसके साथ ही होलिका के आठ दिन पूर्व लगने वाला होलाष्टक भी समाप्त होगा। बता दें कि होलिका दहन का त्योहार बुराई की अच्छाई पर जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। वहीं, भारतीय नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शुरू होता है। इससे पूर्व पुराने संवत्सर को विदाई देने और इसकी नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए भी होलिका दहन किया जाता है। इसलिए इसे कहीं-कहीं संवत जलाना भी कहा जाता है।
होलिका दहन की विशेषता और लाभ
कहते हैं कि होलिका दहन के दिन मन की तमाम समस्याओं का निवारण हो सकता है। रोग, बीमारी और विरोधियों की समस्या से निजात मिल सकती है। आर्थिक बाधाओं से राहत मिल सकती है। अगर आप ईश्वर की कृपा पाना चाहते हैं तो इस दिन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अलग-अलग चीजों को अग्नि में डालकर अपनी अपनी बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं।
होलिका दहन से पहले क्या करें?
पूजा की थाली लेकर होलिका दहन वाली जगह पर जाएं। भूमि को प्रणाम करें और जल अर्पित करें। इसके बाद उसी स्थान पर एक दीपक जलाएं। गोबर के उपले, हल्दी और काले तिल के दाने होलिका में डालें। होलिका की तीन बार परिक्रमा करते हुए कलावा बांधें। फिर सूखा हुआ नारियल चढ़ाएं। आखिर में घर के लोगों को और स्वयं को रोली या हल्दी का तिलक लगाएं।