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महिला सुरक्षा के लिए अम्ब्रेला योजना के तहत 6 परियोजनाएं लागू

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महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में समय पर हस्तक्षेप और जांच सुनिश्चित करने तथा ऐसे मामलों में जांच और अपराध की रोकथाम में दक्षता बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से “महिलाओं की सुरक्षा” के लिए अम्ब्रेला योजना के तहत छह परियोजनाओं को लागू कर रहा है।

गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत

112 आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस)

राष्ट्रीय फोरेंसिक डेटा केंद्र की स्थापना सहित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का उन्नयन

राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) में डीएनए विश्लेषण, साइबर फोरेंसिक क्षमताओं को मजबूत करना

महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रोकथाम

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने में जांचकर्ताओं और अभियोजकों की क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण

महिला सहायता डेस्क और मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ काम कर रही हैं

महिलाओं की पुलिस सेवाओं तक पहुँच में सुधार लाने के लिए पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क (WHD) की स्थापना के लिए गृह मंत्रालय धन मुहैया करा रहा है। अब तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 14,658 महिला सहायता डेस्क (WHD) चालू हैं, जिनमें से 13,743 का नेतृत्व महिला अधिकारी कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 827 मानव तस्करी रोधी इकाइयाँ (AHTU) स्थापित की गई हैं।

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं और बच्चों पर साइबर अपराध रोकथाम परियोजना लागू की गई है। अब तक 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक प्रशिक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जा चुकी हैं और पुलिस अधिकारियों, न्यायाधीशों और अभियोजकों सहित 24,624 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रिपोर्टिंग के लिए एक पोर्टल भी सक्रिय है। निर्भया फंड के तहत 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में डीएनए और साइबर फोरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ₹245.29 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

चंडीगढ़ में डीएनए विश्लेषण सुविधा स्थापित की गई है। छह राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं के साथ-साथ एक राष्ट्रीय फोरेंसिक डेटा केंद्र को मंजूरी दी गई है। जांच अधिकारियों, अभियोजन अधिकारियों और चिकित्सा अधिकारियों सहित 34,626 अधिकारियों को डीएनए साक्ष्य प्रबंधन और यौन उत्पीड़न के उपयोग पर प्रशिक्षित किया गया है।

साक्ष्य संग्रह किट: इसके अलावा, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 18,020 यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह किट वितरित किए गए हैं।

आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चालू है। उन्नत ईआरएसएस (2.0) बेहतर डेटा केंद्रों, व्यापक जिला कवरेज, उच्च कॉल क्षमता, वाहन ट्रैकिंग और आपदा रिकवरी के साथ आपातकालीन सेवाओं को बढ़ाता है। नोएडा और तिरुवनंतपुरम में सी-डैक केंद्रों पर आपदा रिकवरी सुविधाएं कार्यात्मक हैं। ईआरएसएस अब रेलवे हेल्पलाइन, महिला हेल्पलाइन, चाइल्ड हेल्पलाइन और आपदा प्रतिक्रिया सेवाओं जैसी अन्य आपातकालीन हेल्पलाइनों के साथ एकीकृत है।

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