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श्रम कानूनों के विरोध में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल

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भारत सरकार के श्रम कानूनों के खिलाफ बुधवार को प्रदेश भर में ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन किया। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के संयुक्त मंच एवं संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सीटू व हिमाचल किसान सभा के बैनर तले मजदूरों व किसानों ने राजधानी शिमला सहित जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर हड़ताल की गई। इस दौरान प्रदेश में 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन देने और पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग उठाई गई।

बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, आउटसोर्स भर्तियां बंद करने, महंगाई पर रोक लगाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ भी मजदूर यूनियनों ने आवाज बुलंद की।

हड़ताल में आंगनबाड़ी, मिड डे मील, मनरेगा, निर्माण, प्रदेश व बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ क्षेत्र के औद्योगिक मजदूर, बीआरओ, आउटसोर्स, ठेका, स्वास्थ्य, निर्माणाधीन पनबिजली परियोजना, सतलुज जल विद्युत निगम, होटल, रेहड़ी फड़ी तहबाजारी, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के मजदूरों ने भाग लिया। हड़ताल को हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईएलयू, पेंशनर एसोसिएशन, दलित शोषण मुक्ति मंच, जन विज्ञान आंदोलन का समर्थन रहा।

हिमाचल प्रदेश की बैंक कर्मियों की कन्फेडरेशन के तले कई यूनियनों के कर्मियों, बीमा कर्मियों की यूनियनें एनजेडआईईए, एचपीएमआरए के बैनर तले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव भी शामिल हुए।

सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने बताया कि पूरे प्रदेश में हड़ताल सफल रही। मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिये मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ हड़ताल की गई।

उन्होंने कहा कि योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार दिया जाना चाहिए। मनरेगा बजट में बढ़ोतरी हो। मनरेगा मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन लागू हो। श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करवाए जाएं। किसानों की कर्जा मुक्ति, न्यूनतम समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू की जाए।

उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व 74 प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं और जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए।

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