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सरकार के खिलाफ बिखर रहा विपक्ष: कांग्रेस के प्रदर्शन को TMC-SP का नहीं मिला साथ, रिजिजू बोले- हम बिना चर्चा के भी पास करा सकते हैं बिल

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नई दिल्ली। इस समय संसद का शीतलकालीन सत्र चल रहा है, लेकिन अडाणी समूह पर लगे आरोपों और संभल हिंसा समेत कई मुद्दों को लेकर सत्र का पहला सप्ताह विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया है। हालांकि सोमवार को विपक्षी नेताओं और लोकसभा स्पीकर के बीच हुई बैठक के बाद मंगलवार से संसद में गतिरोध कम हुआ और संसद की कार्यवाही जारी है। हालांकि विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में आज भी अदाणी मामले पर विरोध प्रदर्शन किया। इस इस प्रदर्शन में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और वायनाड लोकसभा सीट से नव निर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी शामिल हुई। पर इंडी ब्लॉक के इस प्रदर्शन से समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने ने दूरी बना ली है। ऐसे में सरकार के खिलाफ विपक्ष बिखरता नजर आया।

इंडी गठबंधन के इस प्रदर्शन में सपा के शामिल न होने का सबसे कारण यह है कि कांग्रेस जहां अडाणी मुद्दे पर चर्चा चाहती है तो सपा संभल हिंसा चर्चा की बात कर रही है। सपा सांसदों ने आज लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और संभल मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया। सपा नेताओं के अनुसार अडानी का मुद्दा संभल जितना बड़ा नहीं है। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि हमारे लिए अदाणी से बड़ा मुद्दा किसान हैं। यानि कांग्रेस भले ही अडानी की रट लगाए बैठी हो, मगर विपक्ष के कई दल और भी मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं।

देश को चलाने के लिए संसद चलना जरूरी: संसदीय कार्य मंत्री
वहीं विपक्ष के प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘देश को चलाने के लिए संसद चलना बहुत जरूरी है। संसद की कार्यवाही अगर ठीक से नहीं होगी तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान देश और विपक्ष के सांसदों को होता है। हम बिना चर्चा के भी बिल पास कर सकते हैं, क्योंकि हमारे पास बहुमत है। हालांकि ऐसा करना हमें ठीक नहीं लगता है। रिजिजू ने अडाणी मुद्दे पर कहा- अगर किसी दूसरे देश में किसी भारतीय के खिलाफ कोर्ट में कोई आदेश आता है तो क्या सदन में उसकी चर्चा हमेशा जारी रहेगी? विपक्ष के कई सांसद इस बात को महसूस कर रहे हैं कि सदन को बाधित करना न तो देश हित में है और न ही विपक्ष के हित में है। हम 13 और 14 तारीख को लोकसभा में और 16 व 17 तारीख को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा करेंगे।

विपक्षी पार्टियों में क्यों है मतभेद?
25 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार गतिरोध बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस अडानी मामले को लेकर है। लेकिन समाजवादी पार्टी संभल हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही है। इससे पहले सोमवार को संसद की कार्यवाही से पहले इंडिया ब्लॉक के नेताओं की मुलाकात राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से हुई, जिसमें राहुल गांधी तो शामिल हुए थे लेकिन टीएमसी का कोई सांसद नहीं पहुंचा था। दरअसल तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि सदन में मंहगाई, बेरोजगारी, किसान, उर्वरक, विपक्षी राज्यों को मिलने वाले पैसे में कटौती और मणिपुर जैसे मुद्दों को लेकर चर्चा हो। वहीं कांग्रेस चाहती है कि अडानी मुद्दे पर ही चर्चा हो। वहीं कांग्रेस के रूख से सपा भी किनारा करती दिख रही है। वहीं अन्य विपक्षी दल भी चाहते हैं कि किसान, संभल और मणिपुर जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो। यानि विपक्षी दलों में टीएमसी का रुख साफ है कि संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा हो, कमोबेश ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी भी चाहती है।

रेणुका चौधरी के बयान पर भी बवाल
इस बीच कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी के एक बयान पर विवाद हो गया है कि रेणुका चौधरी ने कहा कि हमारी तरफ से कोशिश है कि सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चले क्योंकि जनता ने हमें चुनकर संसद भेजा है और वे चाहते हैं कि हम उनकी आवाज को यहां बुलंद करें। अगर सरकार सदन चलाना चाह रही है तो चलेगा, अगर वह नहीं चलाना चाह रही है तो नहीं चलेगा। सब समझते है कि ये षडयंत्र क्या है। चौधरी ने कहा कि सदन चलाना हमारी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि कुर्सी पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है। अगर वे लायक हैं तो चलाएंगे, नालायक है तो नहीं चलाएंगे।

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