श्योपुर। रिटायर्ड प्रिंसिपल और श्योपुर विकास खंड के प्रभारी बीईओ रहे केसी गोयल पर्यावरण संरक्षण के ऐसे अनुकरणीय उदाहरण बन गए हैं जिसकी बानगी शायद जिले में और कहीं देखने को नहीं मिलेगी । धरा को हरा बनाने की जिद के चलते प्रिंसिपल गोयल इन दिनों सार्वजनिक उपयोग के पार्क, मंदिर परिसर, स्कूल-कॉलेज प्रांगणों में आए दिन रोपण करते दिख रहे हैं, पर उनके रोपण कार्य में नवाचार यह है कि वह औरों की तरह अविकसित पौधों का रोपण नही कर रहे बल्कि पूर्ण विकसित वृक्ष का रोपण कर रहे हैं। पौधों के बजाय पूर्ण विकसित वृक्ष लगाने से एक तो उनके रखरखाव की चिंता नहीं रहती दूसरे पेड़ लंबे होने के कारण उन्हें मवेशी भी नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। खास बात यह है कि गोयल जहां भी वृक्ष लगा रहे हैं वो प्रतिशत पर्यावरण संरक्षण और आॅक्सीजन देने का काम पहले ही दिन से करना शुरू कर देते हैं।
पर्यावरण संरक्षण दिवस हो अथवा रक्षाबंधन, गणतंत्र दिवस, गणेश चतुर्थी अथवा ऐसे ही कोई भी अवसर हो सेवानिवृत्त प्रिंसिपल गोयल सार्वजनिक स्थल पर उक्त दिन को यादगार बनाने के लिए अपना वृक्ष रोपण करना नहीं भूलते। केसी गोयल 15 से 20 फीट तक के बड़े-बड़े पेड़ों को मजदूरों के माध्यम से वाहनों में रखवा कर उस स्थान पर पहुंचाते हैं जहां उन्हें वृक्ष का रोपण करना होता है। नियत स्थान पर वृक्ष पहुंचाने के बाद वहां पूर्व से किए गए गड्ढे में वृक्ष को प्लांट कर दिया जाता है। पूर्ण विकसित वृक्ष का रोपण होने से वह पहले ही दिन से ग्रोथ करने लगता है। प्रिंसीपल गोयल का यह नवाचार खूब सफल हो रहा है, उनके द्वारा प्लांट किए गए कुछ पेड़ों में तो फल भी लगे हुए हैं।
घर की छत को बनाई नर्सरी
सार्वजनिक स्थलों पर वृक्षारोपण के लिए गोयल ने अपने घर की छत पर ही नर्सरी तैयार की हुई है। यहां वह बड़ी बड़ी पॉलीथिन गमलों में बीज लगाकर अथवा पौधे रोप कर उन्हें विकसित करते हैं। उनकी छत पर इस समय आम, जामुन, नींबू, संतरा, सहजन, पीपल, नीम इत्यादि के करीब एक सैकड़ा पेड़ और पौधे लगे हुए हैं। जो पौधे विकसित होकर पेड़ बन जाते हैं, प्रिंसीपल उन्हें ऐसे स्थान पर रोपने का काम करते हैं जहां वो पर्यावरण को संरक्षण करने के साथ आक्सीजन प्रदान में सहयोगी बन सके।
कैसे सफल हुई वृक्ष रोपण की प्लानिंग
पौधारोपण की जगह वृक्षारोपण करना अपने आप में बड़ा चुनौती पूर्ण काम था पर अपनी समझदारी और सूझबूझ से गोयल ने इस चुनौती को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि इस काम में वह सफल भी रहे। दर असल पौधों के मुकाबले पेड़ों का रोपण करना इसलिए मुश्किल होता है कि पेड़ों को जमीन से निकालना मुश्किल ही नहीं असंभव कार्य होता है। पेड़ों को निकालने के दौरान उसकी जड़े कटना टूटना लाजमी है जिसके कारण उसे दूसरी जगह प्लांट करने पर भी मुश्किल होता है पर गोयल अपने घर की छत पर जो पौधा वृक्ष बनाने के लिए रोपते हैं वो पॉलिथीन में लगाने के बाद उसकी जड़ों को इधर-उधर फैलने से बचाने के लिए कपड़े से लपेटकर रखते हैं।