भोपाल। सोमवार सुबह-सुबह मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट का विस्तार हो गया है। लोकसभा चुनाव के बीच 30 अप्रैल को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक रामनिवास रावत को कैबिनेट मंत्री पदी की शपथ दिलाई गई। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने राजभवन में रावत को सुबह 9 बजे मंत्री पदी की शपथ दिलाई। इस दौरान सीएम मोहन यादव और कई मंत्री भी मोजूद रहे। बता दें कि रामनिवास ओबीसी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। उनके मोहन कैबिनेट में शामिल होने के काफी समय से कयास लगाए जा रहे थे।
गौरतलब है कि 6 बार के विधायक रामनिवास रावत ने 30 अप्रैल को एक जनसभा में सीएम डॉ मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और डॉ नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली थी। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था। रावत कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने से नाराज चल रहे थे। उनके भाजपा में शामिल होने से ग्वालियर-चंबल अंचल में पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है। फिलहाल रावत ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। मंत्री बनने के बाद उनका इस्तीफा तय है। इस्तीफा देने के बाद रावत को छह महीने के भीतर विधायक बनना होगा वरना उनका मंत्री पद स्वत: ही खत्म हो जाएगा। कैबिनेट विस्तार के बाद मध्य प्रदेश में कुल मंत्रियों की संख्या 31 हो गई है।
लेनी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ, ले ली राज्यमंत्री पद की
हालांकि शपथ के दौरान रामनिवास रावत की जुबान भी फिसल गई थी। इतना ही नहीं, राज्यपाल ने उन्हें दो बार शपथ भी दिलाई। दरअसल उन्होंने राज्य के मंत्री के बजाय कह दिया कि – “मैं मध्य प्रदेश के राज्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा।” इससे गफलत हुई कि वह राज्यमंत्री बनाए गए हैं। हालांकि, राज्यपाल ने उन्हें तुरंत ही कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई, जिसके बाद में स्पष्ट हुआ कि वे कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। अब रामनिवास रावत को मिलाकर मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 19 हो गई है।
18 दिसंबर को हुआ पहला कैबिनेट विस्तार
बता दें कि 3 दिसंबर 2023 को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। 8 दिन बाद 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद पर डॉ. मोहन यादव और दो उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, जगदीश देवड़ा का चयन किया गया। इसके 2 दिन बाद 13 दिसंबर को सीएम और दोनों डिप्टी सीएम ने शपथ ली थी। 12 दिन बाद 25 दिसंबर को पहला मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। 18 विधायकों को कैबिनेट और 10 विधायकों को राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी। मंत्रिमंडल विस्तार के 5 दिन बाद 30 दिसंबर को मंत्रियों को विभागों का बंटवारा किया गया था।
कौन हैं रामनिवास रावत
श्योपुर की विजयपुर सीट से विधायक रामनिवास रावत छह बार के विधायक हैं। वह कांग्रेस के उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाने से नाराज थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी। रावत पहली बार 1990 में विधायक बने थे। वह 1993 में दिग्विजय सिंह कैबिनेट का हिस्सा रहे। रावत को दो बार विधानसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। 64 वर्षीय रावत ने 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। उनके परिवार में पत्नी उमा रावत के अलावा दो बेटे और दो बेटियां है। उनका पेशा वकालत है। उन्होंने बीएससी, एमए, एलएलबी की पढ़ाई की है।
ग्वालियर-चंबल में भाजपा की स्थिति होगी मजबूत
छह बार के विधायक रामनिवास रावत को मंत्री बनाने से भाजपा ग्वालियर-चंबल में मजबूत होगी। रावत ओबीसी समुदाय के बड़ा चेहरा माने जाते हैं। मंत्री बनने से रावत का स्वाभाविक रूप से कद बढ़ेगा। कांग्रेस के तेजतर्रार नेताओं में उनकी गिनती होती है। इसका फायदा भाजपा को पूरे अंचल में मिलेगा। रावत ने 30 अप्रैल को पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी। रविवार को रावत ने भागवत कथा के लिए कलश यात्रा का आयोजन किया था। इस बीच शाम को उन्हें भोपाल बुलाया गया।