इंदौर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मंगलवार को इंदौर के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने यहां पर एक पेड़ मां के नाम महाअभियान में भाग लेकर पितृ पर्वत पर एक पेड़ मां के नाम से लगाया। लोकसभा स्पीकर का स्वागत, सांसद शंकर लालवानी, मप्र के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने किया। ओम बिरला ने यहां एक पेड़ मां के नाम लगाते हुए पूरे प्रदेश और देश में हरियाली को लेकर मीडिया से चर्चा की। इस दौरान शहर के तमाम स्कूली बच्चे मौजूद रहे। बता दें कि मप्र सरकार द्वारा पांच करोड़ पेड़ लगाने का 6 जुलाई से प्रदेशभर में महाअभियान चलाया जा रहा है। सबसे ज्यादा 51 लाख पेड़ इंदौर में लगाए जाएंगे।
पौधरोपण के बाद मीडिया से बात करते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि कि भविष्य को संवारने के लिए प्रकॉति को संवारना जरूरी है। इंदौर में हरियाली की पहल एक मिसाल बनेगी। यह अभियान जन आंदोलन बनेगा। वहीं उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए प्रकृति की महिमा के बारे में बताया और संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य को सवारना है तो आज प्रकृति को सवारना आवश्यक है। वहीं अचानक से कार्यक्रम में पहुंची पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को देखकर वन मंत्री नागर सिंह चौहान से लेकर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी कुर्सी खाली कर दी और उन्हें स्थान दिया।
मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला दिल्ली से मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे। जहां सबसे पहले उन्होंने रेसीडेंसी कोठी में संभागायुक्त दीपक सिंह पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता, कलेक्टर आशीष सिंह और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने मुलाकात की। इस दौरान लोक सभा अध्यक्ष बिरला को गार्ड आॅफ आॅनर भी पेश किया गया। इसके बाद एयरपोर्ट रोड अर्बन फॉरेस्ट पहुंचे। जहां ओम बिरला ने 51 लाख पेड़ हरियाली अभियान में हिस्सा लिया।
पार्षदों से मुखातिब हुए ओम बिरला, दिए टप्स भी
जानकारी के अनुसार ओम बिरला बिरला ने नगर निगम के नए अटल परिषद हॉल में पार्षदों से मुखातिब हुए और सदन के संचालन, सवालों के प्रस्तुतिकरण संबंधी टिप्स भी दिए। लोकसभा स्पीकर बिरला ने कहा कि सदन में शोर शराब से कोई हल नहीं निकलता। जनता के हित की बातों को सदन में शान्ति से रख के उस पर चर्चा करना ही सही तरीका है। हमारी सभा कैसे चलती है। कैसे आम जनता की समस्या के मुद्दों पर बात हो रही है यह जरूरी है। हमारी जिम्मेदारी है कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के प्रति जनता का विश्वास बना रहा है। सभी माननीय सदस्यों का जनता से सीधा संवाद रहता है। और जनता यह उम्मीद रखती है कि उनकी समस्याओं को सदन में रखा जाए।