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विश्व पर्यावरण दिवस: सीएम ने एक पेड़ मा के नाम अभियान का किया शुभारंभ, बोले- सनातन संस्कृति में एक वृक्ष को सौ पुत्रों के बराबर

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भोपाल। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर गुरुवार को राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में राज्य स्तरीय प्लास्टिक प्रदूषण उन्मूलन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसको मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संबोधित किया। इस दौरान सीएम “एक पेड़ मां के नाम”-2025 अभियान का भी शभारंभ किया। साथ ही पर्यावरण प्रबंधन पोर्टल का लोकार्पण और वेटलैंड एटलस का विमोचन किया। वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए केन्द्रीय विद्यालय क्रं-2 भोपाल, सेंट्रल एकेडमी शहडोल, सिंधिया कन्या विद्यालय ग्वालियर और शिशु कुंज इंदौर को सालाना पर्यावरण पुरस्कार भी सौंपे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम डॉ. यादव ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस है और गंगा दशहरा भी आज है। दोनों भारतीय संस्कृति के लिए विशेष महत्व रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण संरक्षण को “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के साथ जोड़ा है। राज्य सरकार आज से इस अभियान की शुरूआत कर रही है। हमारी संस्कृति में एक वृक्ष को सौ पुत्रों के बराबर माना है। परंपरागत रूप से कहा जाता है कि एक बावड़ी 10 कुओं के बराबर है, 10 बाबड़ी एक तालाब के बराबर है, 10 तालाब एक पुत्र के बराबर है और 100 पुत्र एक वृक्ष के समान है।

पुत्रों की तुलना वृक्ष के साथ करना, प्रकृति की महत्ता को दर्शाता है। अगर प्रकृति संरक्षित रहेगी तो हमें अपने आप फलने-फूलने का अवसर मिलता रहेगा। वर्तमान दौर में भारतीय संस्कृति और प्राचीन ज्ञान को पुनर्स्थापित करने का समय है। आज रिसाइकिलिंग और री-यूज की चर्चा की जाती है, न्यूनतम संसाधनों से बेहतर जीवनशैली की ओर भी ध्यान दिया जा रहा है। अगली पीढ़ी को बेहतर धरती और वातावरण सौंपने के लिए पर्यावरण संरक्षण के प्रति सभी को सचेत होना होगा।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने सभी को देना होगा योगदान
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सबको स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में योगदान देना होगा। वायु की गुणवत्ता मे सुधार, प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और जल संरक्षण के लिए व्यक्तिगत जवाबदेही और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना जरूरी है। राज्य सरकार पर्यावरण अनुकूल उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय पौराणिक कथाओं में वृक्षों, नदियों, पहाड़ों के साथ-साथ वन्यजीवों की पूजा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा दी गई है, हमें इनसे प्रेरणा लेनी होगी।

सरकार विकास कार्यों को दे रही गति
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि 19वीं शताब्दी में महान वैज्ञानिक जगदीशचंद्र बसु ने लंदन में रायल सोसाइटी को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करके बताया कि पौधों में प्राण होते हैं। जबकि भारत के लोक मानस में यह ज्ञान सदियों से रचा-बसा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संस्कृति को संरक्षित करते हुए अलग-अलग क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति प्रदान कर रही है। पर्यावरण दिवस पर सभी पुरस्कार विजेता बधाई के पात्र हैं। बदलते दौर में प्लास्टिक के उपयोग को लेकर री-यूज, रि-साइकिल की बात कही जा रही है, यह प्रक्रियाएं भारतीय जीवनशैली में पहले से ही विद्यमान हैं।

हमने नेट जीरो एमीशन का लक्ष्य रखा
सीएम ने कहा कि हमने नेट जीरो एमीशन का लक्ष्य रखा है। इसी आधार पर 2030 तक प्रदेश की ऊर्जा क्षमता को 500 गीगा वॉट तक बढ़ाने की योजना बनाई गई है। जल गंगा संरक्षण अभियान के अंतर्गत प्रदेशभर में जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। अब तक 60 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध 75 हजार से अधिक खेत तालाबों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। तीन महीने के इस अभियान में 95 हजार 500 कुओं को रीचार्ज किया गया है और 1225 अमृत सरोवरों का जीर्णोद्धार हुआ है।

 

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