मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन सरकार और विपक्ष के बीच गहन बहस, जवाबदेही और विकास को लेकर तीखी तकरार के नाम रहा.
सत्र में राज्य सरकार ने 13,474 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक बजट पास करवाकर यह संकेत दिया कि इस वित्तीय वर्ष के शेष महीनों में सरकार पूंजीगत और सामाजिक योजनाओं पर तेजी से काम करना चाहती है.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सत्र को सफल और संतोषजनक करार देते हुए कहा कि सरकार विकास के हर मोर्चे पर प्रतिबद्ध है और किसी भी क्षेत्र में भेदभाव की गुंजाइश नहीं छोड़ी जाएगी. वहीं विपक्ष ने कर्ज, योजनाओं में धनाभाव और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी.
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश में कर्ज की दर 130 फीसदी तक बढ़ गई है और सरकार 8 प्रतिशत की ऊंची ब्याज दर पर ऋण लेकर राज्य की वित्तीय स्थिति को संकट की ओर ले जा रही है.
उन्होंने कहा कि कई योजनाएं धनाभाव के कारण ठप हैं और जल जीवन मिशन जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में 250 से अधिक ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करना पड़ा है.
इसके उलट वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बजट का हर हिस्सा विकास-केंद्रित है और कर्ज का उपयोग केवल पूंजीगत परियोजनाओं में किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक मध्यप्रदेश को विकसित राज्य न बना दें, तब तक सरकार का प्रयास बिना रुके जारी रहेगा.
अनुपूरक बजट: बजट पूरी तरह पूंजीगत खर्च
दूसरे अनुपूरक बजट में सरकार ने कई प्रमुख योजनाओं और विकास कार्यों के लिए बड़े प्रावधान शामिल किए. वित्त मंत्री ने बताया कि यह बजट पूरी तरह पूंजीगत खर्च और कल्याणकारी योजनाओं को मजबूत करने पर केंद्रित है.
विपक्ष के आरोप और सरकार का जवाब
सत्र में विपक्ष ने वित्तीय प्रबंधन से लेकर योजनाओं में देरी तक कई मुद्दे उठाए. हालांकि सरकार ने कहा कि विपक्ष विकास कार्यों पर राजनीति कर रहा है और तथ्य भ्रमित करने वाले हैं.
विपक्ष ने कहा कि प्रदेश का ऋण 130% तक बढ़ गया है.
जल जीवन मिशन में ठेकेदारों की ब्लैकलिस्टिंग पर सवाल खड़े किए गए.
कांग्रेस ने कहा कि कई योजनाएं धनाभाव के कारण बंद हो चुकी हैं.
विधायक निधि 5 करोड़ किए जाने की मांग उठी.
सरकार ने कहा कि बजट का पूरा उपयोग विकास में हो रहा है और कहीं भेदभाव नहीं है.



