नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों की डिलीवरी पर हो रही लेट लतीफी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में वायुक्षेत्र में आत्मनिर्भरता विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वायुसेना चीफ ने कहा कि पड़ोसी देश चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा है और हमें अभी भी तेज जैसे लड़ाकू विमान का इंतजार है। बता दें कि वर्ष 2009-10 में 40 तेजस विमानों का आर्डर किया गया था, लेकिन वायुसेना को इसकी पहली खेप भी नहीं मिली है। खास बात यह है कि भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं और उनमें ही काफी देरी हो रही है। वहीं चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। यही वजह है कि वायुसेना प्रमुख ने देरी पर चिंता जताई है।
कार्यक्रम को संबोधिक करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में समय बेहद अहम होता है और अगर समयसीमा का ख्याल न रखा जाए तो तकनीक का फिर कोई उपयोग नहीं होता। सिंह ने बताया कि तेजस फाइटर जेट प्रोजेक्ट की शुरूआत 1984 में हुई थी। पहला विमान 2001 में उड़ा, लेकिन 15 साल बाद इसे 2016 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। वायुसेना के लिए आॅर्डर किए गए पहले 40 तेजस विमानों की डिलीवरी अब तक पूरी नहीं हो सकी है। आज हम 2025 में हैं और हमें अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। ये हमारी उत्पादन क्षमता है।’
हमे प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि ‘हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और हमारे पास कई स्त्रोत होने चाहिए, ताकि लोगों को यह डर रहे कि उनका आॅर्डर छिन भी सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।’ उन्होंने कहा कि ‘क्षमता निर्माण बेहद अहम है। उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और साथ ही अपने कार्यबल को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि ‘हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर चुनौतियां बढ़ रही हैं। दोनों तरफ के देश अपनी सेना की क्षमताओं में तेजी से इजाफा कर रहे हैं। जहां तक चीन की बात है वह न सिर्फ संख्याबल में बल्कि तकनीक के मामले में भी तेजी से तरक्की कर रहा है। उन्होंने हाल ही में छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण किया है।’ चीन ने अपने स्टील्थ तकनीक वाले छठी पीढ़ी के विमानों जे-20 और जे-35 को रिकॉर्ड समय में तैयार किया है।
‘तकनीक समय पर न मिले तो अपनी उपयोगिता खो देती है’
एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि ‘हमें अनुसंधान और विकास में ज्यादा राशि आवंटित करने और रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। हमें अपनी असफलताओं से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए और इससे डरना नहीं चाहिए। हम अभी अनुसंधान और विकास में रक्षा बजट का पांच प्रतिशत खर्च कर रहे हैं, जबकि इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाना चाहिए। अगर अनुसंधान और तकनीक समय पर पूरी न हो सके तो वे अपनी उपयोगिता खो देते हैं। रक्षा क्षेत्र में समय बेहद अहम होता है।’ उल्लेखनीय है कि तेजस लड़ाकू विमानों का उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।