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मप्र की तीन घटनाएं भ्रष्ट शासन तंत्र की उपज: नायक ने दमोह, रीवा और ग्लालियर की घटनाओं का जिक्र कर सरकार को घेरा

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भोपाल। दमोह में फर्जी डॉक्टर नरेन्द्र यादव द्वारा की गई हार्ट सर्जरी से 8 लोगों की मौत, रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में ब्लैकलिस्ट कंपनी द्वारा सप्लाई किए गए इंजेक्शन से मरीजों की हालत बिगड़ना और ग्वालियर में की गई अवैध प्रतिनियुक्ति को लेकर कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने गुरुवार को पीसी कर कहा कि ये तीनों घटनाएं मध्यप्रदेश सरकार की लापरवाही, भ्रष्टाचार और गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली का स्पष्ट प्रमाण हैं।

मुकेश नायक ने कहा कि ये घटनाएं अलग-अलग नहीं, बल्कि एक असंवेदनशील, गैर-जवाबदेह और भ्रष्ट शासन तंत्र की उपज हैं। यदि सरकार इन पर त्वरित, निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई नहीं करती, तो कांग्रेस पार्टी इन्हें सड़क से लेकर विधानसभा तक उठाएगी। यह अब किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि प्रदेश के नागरिकों के जीवन और अधिकारों की लड़ाई है। नायक ने कहा कि दमोह जिले के निजी अस्पताल में फर्जी चिकित्सक नरेंद्र यादव उर्फ एनकेएम जॉन द्वारा की गई हार्ट सर्जरी से 7 मरीजों की मौत हो गई। जब एक फर्जी डॉक्टर बिना वैध प्रमाणपत्रों के हार्ट सर्जरी करता है और सरकार की मशीनरी उसे रोक नहीं पाती, तो यह लापरवाही नहीं, जनजीवन से किया गया क्रूर मजाक है।

एसजीएमसी की घटना प्रशासनिक नाकामी का प्रत्यक्षण प्रमाण
मुकेश नायक ने रीवा के मामले को लेकर कहा कि यहां के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में गुजरात की ब्लैकलिस्टेड कंपनी रेडियंट पार्टरल्स लिमिटेड से सप्लाई हुए इंजेक्शन लगाने के बाद 5 महिलाओं की याददाश्त चली गई। यह शर्मनाक है कि स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रतिबंधित कंपनी से दवा मंगवाई। यह वही विभाग है जो उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के अधीन है और यह घटना उनकी प्रशासनिक नाकामी का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

हाईकोर्ट की फटकार के बाद खुला भ्रष्टाचार
नायक ने कहा कि ग्वालियर में पशु चिकित्सक डॉ. अनुज शर्मा को हेल्थ आॅफिसर बनाना योग्यता और नियमों के खिलाफ था। अब यह सामने आ चुका है कि 22 नवंबर 2022 को तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने सबसे पहले सिफारिशी नोटशीट लिखी थी। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद जब शासन से जवाब मांगा गया, तब यह तथ्य सामने आया। शासन ने शुरू में अदालत से यह सिफारिशी नोटशीट छिपाने की कोशिश की और सीलबंद लिफाफे में जब उसे पेश किया गया, तो न्यायालय ने इसे जानबूझकर तथ्य छिपाने का प्रयास माना। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। उन्होंने कहा कि यह केवल एक अवैध नियुक्ति नहीं, बल्कि न्यायपालिका को गुमराह करने, व्यवस्था को तोड़ने और सिफारिशी राजनीति को संस्थागत रूप देने का प्रयास है।

 

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