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दिल्ली विधानसभा का तीन दिनी सत्र 24 फरवरी से, हंगामेदार रहने के आसार

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दिल्ली विधानसभा का पहला सत्र 24 फरवरी से शुरू हो रहा है और इसके हंगामेदार होने की पूरी संभावना है। यह सत्र केवल तीन दिन का होगा, लेकिन जिस प्रकार से कार्यवाही की सूची सामने आई है और दिल्ली सरकार में सत्तारूढ़ भाजपा व विपक्षी आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति तैयार की है, उससे यह साफ है कि विधानसभा में तीखी नोकझोंक होगी।

दोनों पार्टियों ने सत्र के मद्देनजर अपनी रणनीति तय करने के लिए रविवार को अपने-अपने विधायक दल की बैठक की। सत्र 27 फरवरी तक चलेगा, जिसमें 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर कार्यवाही स्थगित रहेगी।

सत्र के पहले दिन 24 फरवरी को विधानसभा के सदस्य शपथ लेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी भी शामिल होंगे। उनको प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली शपथ दिलाएंगे। इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता को स्पीकर पद के लिए चुना जाएगा।

बताया जा रहा है कि विपक्षी आम आदमी पार्टी ने अपने किसी विधायक का नाम स्पीकर पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया है, जिससे यह तय है कि विजेंद्र गुप्ता निर्विरोध स्पीकर चुन लिए जाएंगे। इसी तरह पहले दिन उपाध्यक्ष पद का भी चुनाव होगा। इस पद के लिए भाजपा ने अपने वरिष्ठ विधायक मोहन सिंह बिष्ट का नाम तय किया है।

25 फरवरी को सत्र का दूसरा दिन होगा और इस दिन सदन में कई महत्वपूर्ण घटनाएं होने की संभावना है। सबसे पहले उपराज्यपाल वीके सक्सेना मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पहली बार विधानसभा को संबोधित करेंगे। उपराज्यपाल का अभिभाषण आम तौर पर सरकार की योजनाओं और नीतियों पर आधारित होता है, लेकिन इसमें पिछली आप सरकार के कामकाज पर टिप्पणियां भी हो सकती हैं।

ऐसे में इस अभिभाषण को लेकर विपक्षी पार्टी आप की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। दरअसल आप विधायकों के चुप रहने की संभावना कम है। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी सत्ता परिवर्तन होने के बाद से भाजपा को घेरने का प्रयास कर रही है।

25 फरवरी को ही विधानसभा में कैग की 14 पेंडिंग रिपोर्ट्स भी रखी जाएंगी। इनमें से कई रिपोर्ट्स 2016 से पेंडिंग हैं और इनमें दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़े महत्वपूर्ण मसले हैं। विशेष रूप से इन रिपोर्ट्स में दिल्ली के आबकारी विभाग से जुड़े तथ्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें शराब घोटाले के आरोपों की संभावना है।

इसके अलावा, डीटीसी, मोहल्ला क्लीनिक, स्वास्थ्य विभाग और पब्लिक अंडरटेकिंग्स से जुड़ी रिपोर्ट्स भी पेंडिंग हैं, जिनमें पिछली सरकार के कार्यों की जांच की गई है। कैग की इन रिपोर्ट्स के सामने आने से आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने हाई कोर्ट तक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि आप सरकार इन रिपोर्ट्स को तुरंत विधानसभा में प्रस्तुत करे। हालांकि, विधानसभा चुनाव की घोषणा के कारण यह मामला लंबित रहा। अब, जब विजेंद्र गुप्ता विधानसभा अध्यक्ष बनेंगे, तो उन्हीं की अध्यक्षता में ये रिपोर्ट्स विधानसभा में रखी जाएंगी।

भाजपा व आप के बीच यह सत्र एक अहम राजनीतिक टकराव का गवाह बनने की संभावना है। एक ओर जहां भाजपा की ओर से आप सरकार की नीतियों और कार्यों का हिसाब-किताब रखने में व्यस्त रहेगी, वहीं आप इन रिपोर्ट्स को लेकर भाजपा पर आरोप भी लगा सकती है।

इसके अलावा आप भाजपा की ओर से चुनाव में किए वादों को पूरा करने की शुरूआत नहीं करने का भी मुद्दा उठाएगी। लिहाजा तीन दिन के सत्र में दोनों दलों के बीच राजनीतिक गहमा-गहमी से लेकर आरोप-प्रत्यारोप तक हर मुद्दा छाया रहेगा।

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