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पड़ोसी देश में टेररिस्टों को एक्सपोर्ट करने का चल रह मिशन, पाकिस्तान को पीएम की खरी-खरी- कहा- शांति के प्रयास का सामना विश्वासघात से हुआ

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नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अमेरिकी पॉडकास्ट होस्ट लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक इंटरव्यू के दौरान पड़ोसी देश पाकिस्तान को खूब खरी खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि भारत की हर शांति पहल को पाकिस्तान ने दुश्मनी और विश्वासघात से जवाब दिया है। पीएम ने कहा कि मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, ताकि एक नया अध्याय शुरू कर सकूं, लेकिन शांति के हर प्रयास का सामना दुश्मनी और विश्वासघात से हुआ। इस दौरान उन्होंने उम्मीद जताई कि इस्लामाबाद के नेता समझदारी दिखाएंगे और भारत के साथ संबंध सुधारने का रास्ता अपनाएंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि 1947 से पहले सभी लोग कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। उसी समय जो भी नीति निर्धारक लोग थे उन्होंने भारत के विभाजन को स्वीकार किया। भारत के लोगों ने सीने पर पत्थर रखकर बड़ी पीड़ा के साथ इसे भी मान लिया कि मुसलमानों को अपना देश चाहिए तो उन्हें दे दो। लेकिन इसका परिणाम भी तभी सामने आ गया। लाखों लोग कत्लेआम में मारे गए। पाकिस्तान से ट्रेनें भर-भरकर लाशें आने लगीं। बहुत डरावने दृश्य थे। लेकिन पाकिस्तान ने भारत का धन्यवाद करने और सुख से जीने की बजाय संघर्ष का रास्ता चुना। अब प्रॉक्सी वॉर चल रहा है। ये कोई विचारधारा नहीं है, टेररिस्टों को एक्सपोर्ट करने का काम चल रहा है।

मेरी ताकत 1.4 अरब भारतीय
पीएम ने कहा कि मेरी ताकत मेरे नाम में नहीं बल्कि 1.4 अरब भारतीयों और देश की कालातीत संस्कृति और विरासत के समर्थन में निहित है। जब मैं विश्व के नेताओं से हाथ मिलाता हूं, तो ऐसा मोदी नहीं बल्कि 1।4 अरब भारतीय करते हैं। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन वह अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान को जल्द समझ आएगा कि शांति का रास्ता ही सही है।

कहीं पर भी आतंकी घटना हो तो आता है पाकिस्तानी कनेक्शन
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में कहीं पर भी आतंकवाद की घटना घटती है तो कहीं न कहीं पाकिस्तान कनेक्शन सामने आता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में 9/11 की बड़ी घटना हुई। इसका मुख्य सूत्रधार ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था। दुनिया पहचान गई है कि पाकिस्तान दुनियाभर के लिए परेशानी का केंद्र बन चुका है। पीएम मोदी ने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा, इसका मकसद दोनों देशों के रिश्तों में नई शुरूआत करना था, लेकिन हर बार हमें सिर्फ धोखा और दुश्मनी मिली।

‘पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं’
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि पाकिस्तान के आम लोग भी शांति चाहते हैं, क्योंकि वे भी आतंकवाद, हिंसा और अस्थिरता से परेशान हैं। उन्होंने कहा, निर्दोष बच्चों की हत्या हो रही है, अनगिनत जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं। कोई भी सामान्य नागरिक ऐसा माहौल नहीं चाहता। 2014 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सभी नेताओं को बुलाने का फैसला भारत की मजबूत कूटनीति का प्रमाण था। इस लेकर पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी इसे ऐतिहासिक क्षण बताया था। इससे दुनिया को भारत की शांति और सौहार्द के प्रति प्रतिबद्धता का स्पष्ट संदेश मिला।’ लेकिन पाकिस्तान से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।

‘हर बार अच्छे प्रयासों का परिणाम नकारात्मक निकला’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीन घंटे से अधिक के संवाद में कहा कि हम लगातार कह रहे हैं कि आप आतंकवाद के रास्ते को छोड़ दीजिए, ये सरकारी आतंकवाद है जो बंद होना चाहिए। सब कुछ आतंकवादियों के हाथ में छोड़ दिया है, इससे किसका भला होगा? उन्होंने कहा कि शांति के प्रयासों के लिए मैं खुद लाहौर चला गया था। मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने मेरे शपथ समारोह में पाकिस्तान को स्पेशल इन्वाइट किया था ताकि एक शुभ शुरूआत हो। लेकिन हर बार अच्छे प्रयासों का परिणाम नकारात्मक निकला। हम उम्मीद करते हैं कि उनको सद्बुद्धि मिलेगी। वहां की आवाम भी नहीं चाहती होगी कि ऐसी जिंदगी जिएं।

कोविड में संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन रहे विफल
पीएम मोदी ने कहा कि कोविड ने हर देश की सीमाओं को उजागर किया है। इससे सीखने के बजाय दुनिया और अधिक विखंडित हो गई है। वैश्विक नियमों को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन विफल रहे। स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाई गई संस्थाएं प्रासंगिकता खो रही हैं। जो लोग कानूनों की अनदेखी करते हैं, उन्हें कोई परिणाम नहीं भुगतना पड़ता।

गुजरात दंगों पर मोदी बोले- अब राज्य में स्थायी शांति बनी है
गुजरात दंगों के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि 24 फरवरी 2002 को मैं पहली बार निर्वाचित प्रतिनिधि बने और 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड हुआ, जिसने प्रदेश में हिंसा भड़का दी। गुजरात में 2002 से पहले भी 250 से अधिक दंगे हो चुके थे। 1969 का दंगा छह महीने तक चला था। 2002 के दंगे दुखद थे, लेकिन उसके बाद राज्य में स्थायी शांति बनी। सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए गए, लेकिन न्यायपालिका ने दो बार जांच के बाद उन्हें निर्दोष करार दिया।

भारत-चीन को प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं
राष्ट्रपति शी के साथ मेरी बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है। हम 2020 से पहले के स्तर पर स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। विश्वास में समय लगेगा, लेकिन हम बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने संघर्ष के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन को स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं।

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