लाड़ली बहना योजना के तहत प्रदेश की 1.26 करोड़ से अधिक बहनों को शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 28वीं किश्त की 1541 करोड़ रुपये से अधिक राशि सिंगल क्लिक से उनके खातों में अंतरित की।
इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन पेटलावद में किया गया, जहाँ मुख्यमंत्री ने बहनों पर पुष्पवर्षा कर उनका अभिनंदन भी किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का शुक्रवार को पेटलावद मंडी ग्राउंड हेलीपेड पर प्रभारी मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह, कैबिनेट मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया, संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े, आईजी अनुराग, कलेक्टर श्रीमती नेहा मीना, एसपी रघुवंश सिंह एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री का पारंपरिक ढोल-मांदल की थाप पर स्वागत हुआ, जिसमें वे स्वयं भी वाद्य बजाने से स्वयं को रोक नहीं पाए।मुख्यमंत्री ने जिले की संस्कृति के अनुरूप तीर-कमान, झुलड़ी एवं साफा धारण कर परंपरागत सम्मान स्वीकार किया तथा कन्या पूजन कर राज्य स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
प्रदर्शनी का अवलोकन
कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया
पर्यटन एवं जल संसाधन विभाग की थीम पर्यटन और सतत परिवर्तन
महिला एवं बाल विकास विभाग की थीम कुपोषण मुक्त झाबुआ
कृषि विभाग की थीम महिला किसान उन्नति की ओर एवं ऑर्गेनिक कॉटन
उद्योग केंद्र एवं उद्यानिकी विभाग की थीम छोटे उद्योग-नारी शक्ति-सशक्त भारत
आयुष विभाग की थीम झाबुआ के संजीवक
ग्रामीण आजीविका परियोजना की थीम स्वावलंबन की ओर कदम
नगर परिषद की थीम कचरा रहित जीवन
मुख्यमंत्री ने सभी प्रदर्शनियों की सराहना की।
345 करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाएँ
मुख्यमंत्री ने 72 से अधिक विकास कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण किया।
35 कार्यों का भूमिपूजन (194.56 करोड़)
37 कार्यों का लोकार्पण (150.78 करोड)
कुल राशि – 345.34 करोड़ रुपये
योजनाओं का लाभ
लाडली बहना योजना : 1.26 करोड़ से अधिक बहनों को 28वीं किस्त के रूप में 1541 करोड़ से अधिक राशि का अंतरण।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना : 53.48 लाख हितग्राहियों को 320.89 करोड़ की राशि का अंतरण।
गैस रिफिल अनुदान : 31 लाख से अधिक बहनों को 48 करोड़ की अनुदान राशि का सिंगल क्लिक से अंतरण।
पुस्तक “झाबुआ के संजीवक” का विमोचन
जनजातीय आयुर्वेदिक परंपरा और चिकित्सा ज्ञान पर आधारित पुस्तक “झाबुआ के संजीवक” का विमोचन मुख्यमंत्री ने किया। इस पुस्तक में जिले की जड़ी-बूटियों एवं पारंपरिक उपचार पद्धतियों का दस्तावेजीकरण किया गया है, ताकि जनजातीय संस्कृति एवं परंपरा के इस समृद्ध ज्ञान को संरक्षित किया जा सके।



