भोपाल। सायबर क्राइम आज के दौर का नया और खतरनाक क्राइम हो गया है। वर्तमान में आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। सायबर क्राइम से बचने का एकमात्र तरीका जागरूकता और सतर्कता है। यह बात मप्र की महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने भोपाल में आयोजित 9वीं नेशनल साइबर साइकोलॉजी क्रॉन्फ्रेंस कार्यशाला के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने यह भी कहा कि इस कान्फ्रेंस के माध्यम से डिजिटल साक्षरता, आॅनलाइन सुरक्षा, सायबर धमकी और आॅनलाइन यौन अपराधों जैसे सायबर खतरों को रोकने के लिये इस सम्मेलन में युवाओं को जिम्मेदार सोशल मीडिया उपयोग पर शिक्षित किया जाएगा। उन्होंने अपील की की कि सायबर सुरक्षा में प्रशिक्षित युवा सायबर सुरक्षा दूत की तरह कार्य करें
मंत्री भूरिया ने कहा कि मप्र राज्य महिला आयोग और रिस्पॉन्सिबल नेटिज्म संस्था मुम्बई के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं में साइबर वेलनेस के बारे में जागरूकता एवं सुरक्षित डिजिटल परिदृश्य को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला सायबर अपराधों से समाज को सुरक्षित करने का अभिनव प्रयास है। मोबाईल के बढ़ते उपयोग से लोगों के काम तो आसान हुए है। लेकिन कहीं न कही इससे उनकी सुरक्षा पर भी सवाल खडें हुए है। सायबर क्राइम के सबसे ज्यादा सॉफ्ट टारगेट बुजुर्ग, महिला और बच्चे है।
विभाग का लक्ष्य सभी सायबर सुरक्षित बनाना
भूरिया ने कहा कि महिला बाल विकास विभाग का लक्ष्य बच्चों, युवाओं और महिलाओं को सायबर सुरक्षित बनाना है। इससे न केवल सायबर वेलनेस को बढ़ावा मिलेगा बल्कि युवाओं में आॅनलाइन संकट को रोकने की क्षमता को विकसित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि युवतियों और महिलाओं के विरूद्ध बढ़ते सायबर अपराधों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में भारत का पहला सायबर वेलनेस सेल लांच किया गया है। उन्होंने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मौजूद रहे कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे प्रदेश के बच्चों की सुरक्षा के लिये सक्रिय भूमिका निभाएं।
22 कॉलेजों के 5 हजार युवाओं को किया गया शिक्षित: सोनाली
रिस्पांसिबल नेटिज्म की फांउडर सीएओ सोनाली पाटनकर ने जानकारी देते हुए बताया कि फाउडेशन द्वारा मध्यप्रदेश के 11 जिलों के 22 कॉलेजों के पांच हजार से अधिक युवा लड़कियों को सफलतापूर्वक शिक्षित किया है। ‘सायबर सखी’ के नाम से पिछले वर्ष इसकी शुरूआत की गई थी। फाउन्डेशन द्वारा मध्यप्रदेश सीएम हेल्पलाइन के कर्मचारियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया।