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जिला और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्षों की शिक्षा समितियों में बढ़ेगी भूमिका

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय व्यवस्था की मूल आत्मा स्थानीय स्वशासन रही है। हमारे यहां शासन गांव से शुरू होकर राष्ट्र की ओर बढ़ने वाला रहा है। इसी का परिणाम है कि भारतीय चिंतन में गांव को स्वराज और आत्मनिर्भरता की प्रथम इकाई माना गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब आत्मनिर्भर भारत और सुशासन का दृष्टिकोण रखा, तब उन्होंने स्पष्ट कहा था कि भारत की ताकत उसके गांवों, पंचायतों और जनसामान्य की सामूहिक शक्ति में निहित है।

आत्मनिर्भर पंचायत-समृद्ध मध्यप्रदेश विषय पर आयोजित यह वर्कशॉप, ग्राम स्वराज, स्थानीय आत्मनिर्भरता और विकसित भारत@2047 के लिए उठाया गया निर्णायक कदम है। गर्व का विषय है कि पंचायतों को प्रशासनिक रूप से दक्ष, वित्तीय रूप से सक्षम और सामुदायिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की ठोस रणनीति तैयार करने की इस यात्रा का नेतृत्व प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधि कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पंचायत संस्थाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।

जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्ष अभी शिक्षा समितियों के अध्यक्ष होते हैं, लेकिन निरीक्षण के दौरान उनके सुझावों को शामिल नहीं किया जाता है। लेकिन अब उनके द्वारा किए विद्यालय के निरीक्षण और सुझावों को लिपिबद्ध किया जाएगा और शासन इन्हें अमल में लेकर कार्य करेगा।

मध्यप्रदेश में पंचायतों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की कवायद की जा रही है। इसके लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई है जिसका सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कंन्वेंशन सेंटर में 24 से 26 नवंबर तक चलनेवाली इस कार्यशाला में पंचायतों की स्थिति पर गहन मंथन होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां वाटर शेड महोत्सव के शुभारंभ के साथ ही जल गंगा संवर्धन अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया। इस मौके पर उन्होंने राज्य के जिला पंचायतों के उपाध्यक्षों, जनपद पंचायतों के उपाध्यक्षों के स्कूलों के निरीक्षण पर बड़ा अधिकार देने की घोषणा की।

पंचायत कार्यशाला में दोनों उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल व जगदीश देवड़ा, प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और अन्य वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, संपतिया उइके, कुंवर विजय शाह, राधा सिंह भी उपस्थित थीं। बड़ी संख्या में जन-प्रतिनिधियों के अलावा विषय-विशेषज्ञ व प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे।

पंचायतों को प्रशासनिक, वित्तीय एवं सामुदायिक स्तर पर मजबूत बनाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर एवं समृद्ध बनाने की दिशा में ठोस रणनीति तैयार करना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। इसके अंतर्गत स्थानीय शासन की पारदर्शिता व जवाबदेही, मनरेगा, आजीविका मिशन, सामाजिक अंकेक्षण, डिजिटल ट्रैकिंग एवं मॉनिटरिंग, वित्तीय प्रबंधन एवं पंचायत शासन, “स्‍वनिधि से समृद्धि” अभियान, वाटरशेड परियोजनाओं का क्रियान्वयन, शुद्ध पेयजल, स्वच्छ ग्राम तथा विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं का प्रभावी संचालन, पेसा ग्राम सभाओं की वर्तमान स्थिति और सफल क्रियान्वयन जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चाकर और प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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