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विधासभा में उठा बच्चों में स्मार्टफोन, इंटरनेट की लत का मुद्दा

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मध्यप्रदेश विधानसभा में आज सत्र के दूसरे दिन 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन और इंटरनेट की बढ़ती लत का मुद्दा उठाया गया। जबलपुर से भाजपा विधायक अभिलाष पांडे ने सदन में कहा कि स्मार्टफोन एवं इंटरनेट के अनियंत्रित उपयोग, उसमें परोसे जाने वाले कंटेंट और उनके व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य पर आने वाले परिवर्तनों एवं इसे लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को लेकर प्रश्न किया।

विधायक ने प्रधानमंत्री के नो गैजेट जोन का हवाला देते हुए यह विषय ध्यानाकर्षण में उठाया।

विधायक डॉ अभिलाष पाण्डेय ने प्रश्न के माध्यम से कहा कि प्रदेश में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों में स्मार्टफोन और इंटरनेट उपयोग की लत तेजी से बढ़ती जा रही है। जो उनके शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और नैतिक विकास के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है।

उन्होंने कहा बच्चे खेलकूद अध्ययन पारिवारिक संवाद तथा सहपाठी सहभागिता जैसी रचनात्मक गतिविधियों से दूर होकर दिनभर मोबाइल स्क्रीन में व्यस्त रहते हैं। जिससे उनकी एकाग्रता, स्मरण शक्ति, दृष्टि, नींद, व्यावहारिक संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पढ़ रहा है।

मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों में डिजिटल निर्भरता चिड़चिड़ापन सामाजिक अलगाव अवसाद और सीखने की क्षमता में गिरावट को जन्म दे रहा है। साथ ही इंटरनेट की नियंत्रित उपलब्धता के कारण बच्चे अपनी उम्र के अनुपयुक्त गेम वीडियो गेम वेबसाइट और वयस्क सामग्री तक आसानी से पहुंच रहे हैं, जो उनके मूल्य बोध, आचरण और चारित्रिक विकास पर गंभीर संकट उत्पन्न कर रहा है।

चिंताजनक यह भी है कि स्वास्थ्य शिक्षा महिला एवं बाल विकास विभाग आदि संबंधित विभागों द्वारा इस बढ़ते डिजिटल खतरे को रोकने हेतु आवश्यक जागरूकता अभिभावक मार्गदर्शन स्कूल स्तरीय नियंत्रण एवं मनो सामाजिक सहायता के पर्याप्त उपाय अभी तक प्रभावी रूप से नहीं किए गए हैं। जिसके कारण समाज में गहरी चिंता व्याप्त है।

विधायक ने सरकार से मांग की कि विद्यालयों आंगनबाड़ी केंद्रों और समुदाय स्तर पर व्यापक जागरूकता अभियान अभिभावक परामर्श कार्यक्रम बच्चों के लिए डिजिटल साक्षरता एक इंटरनेट सुरक्षा शिक्षा स्कूलों में स्मार्टफोन उपयोग पर गाईड लाईन तय की जाए।

जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लगातार निगरानी एवं जागरूकता का प्रयास किया जा रहा है। मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि किशोर न्याय अधिनियम एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम एवं मध्य प्रदेश की बाल संरक्षण नीति के अनुसार माता-पिता, विद्यालयों और बाल संरक्षण मशीनरी, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई एवं समेकित बाल विकास सेवा द्वारा बच्चों के डिजिटल उपयोग पर सामूहिक निगरानी रखने एवं सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने हेतु कई उपाय किए गए हैं।

समय-समय पर इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया आकाशवाणी दूरदर्शन होल्डिंग समाचार पत्र एवं प्रचार प्रसार के विभिन्न माध्यमों से निरंतर प्रचार प्रसार किया जा रहा है। वहीं भारत सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय महिला बाल विकास संस्थान माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर गृह मंत्रालय एवं विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विभिन्न स्टेट होल्डर को समय-समय पर समसामयिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बच्चों के स्क्रीन टाइम नियंत्रण एवं ऑनलाइन सुरक्षा को मजबूत करने हेतु संबंधित विभागों शिक्षा एवं ग्रह के साथ समन्वय कर और अधिक ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

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