नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक्शन मोड में हैं। उन्होंने मंगलवार को देश के शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग की। पीएम आवास में करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजित डोभाल और सीडीएस अनिल चौहान के अलावा तीनों सेना के अध्यक्ष मौजूद रहे। सूत्रों की मानें तो बैठक में पीएम मोदी ने सेना को आतंकवाद से निपटने के लिए खुली छूट दे दी है। उन्होंने कहा है कि जवाब कब और कैसे देना है यह तय करने के लिए आप स्वतंत्र हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद पर करारी चोट करना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। लगभग 90 मिनट तक चली इस बैठक में पहलगाम हमले के बाद की सुरक्षा स्थिति, आतंकियों के खिलाफ चल रहे आॅपरेशनों और भविष्य की रणनीति पर गहन विचार-विमर्श किया गया। पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा विश्वास और भरोसा जताया। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा, उन्हें (सशस्त्र बलों को) हमारी प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी स्वतंत्रता है।
पीएम मोदी कर चुके हैं बड़ा ऐलान
बता दें कि पीएम मोदी ने वादा किया है कि इस हमले के पीछे जो आतंकवादी और उनके मददगार हैं, उन्हें दुनिया के आखिरी छोर तक ढूंढ कर ‘कल्पना से परे’ सख्त सजा दी जाएगी। यह पाकिस्तान की ओर इशारा माना जा रहा है, जिसका भारत में आतंकवाद फैलाने का इतिहास रहा है। इससे पहले सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की। यह बैठक उस दिन हुई, जब सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने राजनाथ सिंह को पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिए गए कुछ फैसलों की जानकारी दी।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ था आतंकी हमला
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके अलावा दर्जनों लोग घायल भी हुए थे। इसे हाल के वर्षों के सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। हमले के बाद घाटी में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। हमले में शामिल आतंकियों की तलाश जारी है। इसके लिए सुरक्षाबल जगह-जगह कॉम्बिंग कर रहे हैं। इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ रहा है। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर कई तरह की पाबंदियां लगाने का फैसला किया।
केंद्र सरकार को मिला विपक्षी दलों का समर्थन
पहलगाम हमले के बाद सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी। इसमें विपक्षी दलों ने आतंकियों के खिलाफ सरकार किसी भी कार्रवाई को पूरा समर्थन देने की बात कही। हमले के अगले दिन कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक भी हुई थी। इस बैठक में बताया गया कि इस आतंकी हमले के तार सीमा पार से जुड़े हुए हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि यह हमला ऐसे समय हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं और राज्य धीरे-धीरे आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है।