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कांग्रेस

करोड़पति नेताओं की बेचारी कंगाल कांग्रेस

राहुल गांधी के प्रभाव वाले इस पूरे कालखंड में कांग्रेस जनमत से लेकर धन के मामले में ठन-ठन गोपाल वाला सफर बड़ी दयनीय अवस्था में घिसट-घिसटकर तय कर पा रही है। वैसे तो यह सारा मामला ही किसी लतीफे जैसा है, फिर भी एक और लतीफा याद आ गया। सेना के अफसर ने नाश्ते के लिए बैठी टुकड़ी के जवानों से कहा, 'खाने पर दुश्मन की तरह टूट पड़ो।' टुकड़ी कई दिन की भूखी थी।

कांग्रेस ने दिल से हटकर दिमाग की सुध ली

पटवारी, सिंघार और कटारे को उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं। बरसों बरस बाद पंजे ने दिमाग को टटोला है। कांग्रेस के सच्चे शुभचिंतक यही चाहेंगे कि यह क्रम बना रहे। बाकी उनके भीतर यह आशंका कायम रहना भी स्वाभाविक है कि पंजा एक बार फिर दिमाग से फिसलकर दिल की तरह न चला जाए।

भाजपा का सयानापन और कांग्रेस का बचपना

कांग्रेस व्यवहारिकता के हिसाब से मुद्दों के टोटो और उनके नाम पर तोता रटंत की शिकार होकर रह गयी। जबकि भाजपा ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह अपने सामाजिक समरसता वाले वाक्य के अनुरूप आगे बढ़ने में ही यकीन रखती है।

शिवराज का फीनिक्स अवतार और सोने की भस्म

शिवराज ने बीते महीने खुद की तुलना उस फीनिक्स पक्षी से की, जिसके लिए कहा जाता है कि वह अपनी ही राख से एक बार फिर जीवन पा लेता है। यानी वह अजर-अमर है। मजे की बात यह कि यदि टाइगर को फिर से सही अर्थ में जीवित होना दिखाने के लिए पंद्रह महीने का समय लग गया था, तो फीनिक्स पक्षी ने एक पखवाड़े से भी कम की अवधि में अपने फिर से जीवित हो उठने वाले पूरे हालात स्थापित कर दिए हैं।

ये कमलनाथ का विश्वास है दिग्विजय पर

दिग्विजय ने जिन बातों के चलते अपने लिए कपडे फटने की स्थिति बुलाई, उनमें से अधिकतर बातें भले ही पार्टी के नाम पर की गईं, लेकिन उनके मूल में खुद दिग्विजय का निजी एजेंडा भी निहित था। खैर, इसे गलत भी नहीं मानना चाहिए। निजी शुभ-लाभ हासिल करने की निंदा करने से पहले यह देखा जाना चाहिए कि कपडे फड़वाने की दिग्विजय की तरह ऐसी बार-बार हिम्मत करना कांग्रेस में क्या किसी और के बूते की बात है?

इस कहावत में कहीं भी फिट नहीं है कांग्रेस

ताज्जुब यह नहीं है कि इस दल ने फिलिस्तीन का समर्थन किया, ताज्जुब यह कि इससे जुड़े प्रस्ताव में इजरायल के लिए समर्थन तो दूर, संवेदना तक को स्थान नहीं दिया गया है। अब जाहिर है कि हमारे देश में यहूदी वर्ग के मतदाता नहीं हैं। शायद इसीलिए कांग्रेस को इजरायल में मारे गए करीब एक हजार लोगों और फिलस्तीन समर्थक आतंकवादी संगठन हमास द्वारा बंदी बनाए गए असंख्य इजरायलियों से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन वह फिलिस्तीन के लिए दुखी है।

कर्नाटक में कांग्रेस का ‘मैंने ऐसा तो नहीं कहा था’ वाला नाटक

गुजरे दौर की एक फिल्म याद आ गयी। नायक रूमानियत से भरा गीत गा रहा है, लेकिन हर अंतरे पर नायिका उसके सारे किए-धरे...

चाय वाला बनाम चाय का खोमचा

फ़िलहाल यह मामला चाय का खोमचा लगाने वाले उस शख्स जैसा लग रहा है, जिसने अपने दोस्त से दावा किया कि यदि उसे अंबानी...

कमल के लिए खाद नहीं बन सकता कर्नाटक का कीचड़

रास्ते में कीचड़ से सामना हो जाना भले ही अच्छा न लगने वाला मामला हो। काम तो उससे भी लिया जा सकता है। कीचड़...

देश को कलंक से बचाने के लिए सबसे बड़ी अदालत को नमन

मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति 'गोदान' का एक प्रसंग याद आ गया। होरी के गांव में पुलिस आई। 'अपने तरीके' से काम करके चलती...

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