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लोकसभा चुनाव

मनोभंजन न सही, मनोरंजन में तो परिपक्व हैं राहुल गांधी

फिरोज खान के पोते राहुल भले ही मूलत: गांधी न हों, लेकिन प्रचार तंत्र तो उन्हें महात्मा गांधी के समकक्ष ही रखता है। खैर, कांग्रेस के अघोषित माई-बाप और देश के घोषित बापू के बीच तुलना नहीं की जा सकती। गांधी जी की आवाज पर देश एकजुट हो गया था और राहुल की सियासी परवाज का आलम यह कि कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े होने की कगार पर आ गई है।

चाय वाला बनाम चाय का खोमचा

फ़िलहाल यह मामला चाय का खोमचा लगाने वाले उस शख्स जैसा लग रहा है, जिसने अपने दोस्त से दावा किया कि यदि उसे अंबानी...

कांग्रेस के कातिल ही उसके मुंसिफ

जिस कांग्रेस (Congress) ने देश पर करीब चार दशक तक पूरे समर्थन से राज किया आखिर वो अब लोकसभा (Loksabha) में दो अंकों में...

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