बेंगलुरु। कर्नाटक में भूमि आवंटन घोटाला सुर्खियों में रहा है। इतना ही विपक्ष मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शामिल होने...
भाजपा जिस तरह अपनी विचारधारा के किसी समय के विरोधियों को पार्टी की मुख्यधारा में स्थान दे रही है, उससे पार्टी के भीतर ही निराशा और क्रोध की उस धारा का संचार भी होने लगा है, जो इस दल के लिए किसी भी तरह शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता।
पीसीसी चीफ जीतू ने यहां तक आरोप लगा दिया है कि मप्र की भाजपा ने लोकतंत्र की परंपराओं की अनदेखी करते हुए कांग्रेस विधायक को सरकार में मंत्री बना दिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि रावत के अब भी कांग्रेस विधायक है है।
रावत के मंत्री पद की शपथ लेने के बाद सीएम मोहन यादव ने कहा कि मंत्रिमंडल में एक नए सदस्य का आगमन हुआ है। रामनिवास के अनुभव का सरकार और क्षेत्र की जनता को लाभ मिलेगा। पिछड़े और विकास की संभावनाओं वाले क्षेत्र से प्रतिनिधित्व मिल रहा हैं। सीएम ने कहा कि कैबिनेट मंत्री होने के नाते उनके अनुभव का लाभ पूरे मंत्रिमंडल और सभी प्रदेशवासियों को मिलेगा।
6 बार के विधायक रामनिवास रावत ने 30 अप्रैल को एक जनसभा में सीएम डॉ मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और डॉ नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली थी। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था। रावत कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने से नाराज चल रहे थे।
भाजपा में शामिल होने के बाद भी रावत विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। इसको लेकर कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से भी शिकायत की है। अब भाजपा रावत को मंत्री बनाकर इनाम दे सकती है। कैबिनेट विस्तार में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधा जाएगा।
बैठक में केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के अलावा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो सकते है। इसके अलावा बैठक में प्रदेश के लगभग दो हजार पदाधिकारी और नेता शामिल होंगे। मंडल प्रभारियों को भी बुलाया गया है। बैठक में भाजपा के सदस्यता अभियान की तारीख और कार्यक्रम की घोषणा हो सकती है।
भाजपा सांसद कविता पाटीदार ने कहा कि लोकसभा का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता कमलनाथ छिंदवाड़ा की जनता के भी नहीं हुए। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा छोड़कर चले गए।
संगठन के प्रति निष्ठा और जातिगत राजनीति के लाभ शुभ के साथ काम की क्षमता का सर्वाधिक महत्व है, तो फिर उसे मंत्रियों के चयन में भी यही दिखाना होगा कि पार्टी में अब 'तुम मुझे सब-कुछ दो, मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दूंगा' वाले लोगों के दिन लद चुके हैं।
मध्यप्रदेश के चुनावी नतीजों में लाड़ली बहना योजना की बड़ी भूमिका रही तो आप यह भी मानेंगे कि इस योजना के पीछे का प्रमुख फैक्टर शिवराज ही थे। यह उनकी वर्ष 2005 से इस चुनाव तक की संचित निधि रही, जिसने राज्य की महिलाओं को भविष्य में तीन हजार रुपए प्रति माह देने की बात पर विश्वास में ले लिया