संगठन के प्रति निष्ठा और जातिगत राजनीति के लाभ शुभ के साथ काम की क्षमता का सर्वाधिक महत्व है, तो फिर उसे मंत्रियों के चयन में भी यही दिखाना होगा कि पार्टी में अब 'तुम मुझे सब-कुछ दो, मैं तुम्हें कुछ भी नहीं दूंगा' वाले लोगों के दिन लद चुके हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की दूसरी सूची इसी किस्से से मिलती जुलती है। चुनाव में आप किसी को 'हमें ही वोट दो' कहकर बाध्य नहीं कर सकते, लेकिन यह माहौल तो बना ही सकते हैं कि मतदाता के पास आप से हटकर और कोई विकल्प की संभावना कम रह जाए। यूं नहीं कि प्रदेश का मतदाता शिवराज सिंह चौहान से नाखुश है। हां, ऐसे नाखुश लोगों की भाजपा में अच्छी-खासी संख्या पनप चुकी है।
सीहोर में रुद्राक्ष महोत्सव (rudraaksh mahotsav) के रूद्र जाम को लेकर कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) इतने क्रुद्ध क्यों हैं? इससे भी बड़ा सवाल यह...