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केंद्र सरकार

देश को कलंक से बचाने के लिए सबसे बड़ी अदालत को नमन

मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति 'गोदान' का एक प्रसंग याद आ गया। होरी के गांव में पुलिस आई। 'अपने तरीके' से काम करके चलती...

ऐसी तोहमतों को अपना श्रृंगार मानने वालों का क्या करें?

विरोध में यदि विष का तड़का लग जाए तो वही होता है, जो संसद में हुआ। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने जिस...

बचकाने सवालों में छिपी गंभीरता

विदेश (Foreign) में बसे भारतीयों (Indians) में मेरे परिचितों की भी खासी तादाद है। गाहे-बगाहे सोशल मीडिया (social media) के जरिये उनसे संवाद भी...

बीरबलों की अपनी-अपनी खिचड़ी

निहितार्थ : पराजय को कुतर्क का चोला पहनाकर ढंकने की कोशिश करना पुराना चलन है। कहते हैं कि अकबर ने कड़ाके की सर्दी में...

देर से आये, लेकिन क्या दुरुस्त भी आये मोदी ?

निहितार्थ: पैंतीस साल से अधिक की पत्रकारिता में मैंने क्राइम की रिपोर्टिंग (crime reporting) भी की है। उसी दौर का एक सच्चा किस्सा है।...

बेकाबू देश के हालात, बेबस मोदी सरकार

स्कूल के दिनों में यह हर कक्षा में अघोषित नियम (Undeclared rule) के रूप में देखा था। एक न एक सहपाठी साल भर बहुउपयोगी...

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