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कमलनाथ

अमरवाड़ा की जनता के सामने नाथ बहाएंगे घड़ियाली आंसू, भाजपा नेत्री का करारा हमला

भाजपा सांसद कविता पाटीदार ने कहा कि लोकसभा का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता कमलनाथ छिंदवाड़ा की जनता के भी नहीं हुए। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा छोड़कर चले गए।

कांग्रेस ने दिल से हटकर दिमाग की सुध ली

पटवारी, सिंघार और कटारे को उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं। बरसों बरस बाद पंजे ने दिमाग को टटोला है। कांग्रेस के सच्चे शुभचिंतक यही चाहेंगे कि यह क्रम बना रहे। बाकी उनके भीतर यह आशंका कायम रहना भी स्वाभाविक है कि पंजा एक बार फिर दिमाग से फिसलकर दिल की तरह न चला जाए।

ये कमलनाथ का विश्वास है दिग्विजय पर

दिग्विजय ने जिन बातों के चलते अपने लिए कपडे फटने की स्थिति बुलाई, उनमें से अधिकतर बातें भले ही पार्टी के नाम पर की गईं, लेकिन उनके मूल में खुद दिग्विजय का निजी एजेंडा भी निहित था। खैर, इसे गलत भी नहीं मानना चाहिए। निजी शुभ-लाभ हासिल करने की निंदा करने से पहले यह देखा जाना चाहिए कि कपडे फड़वाने की दिग्विजय की तरह ऐसी बार-बार हिम्मत करना कांग्रेस में क्या किसी और के बूते की बात है?

कर्नाटक में कांग्रेस का ‘मैंने ऐसा तो नहीं कहा था’ वाला नाटक

गुजरे दौर की एक फिल्म याद आ गयी। नायक रूमानियत से भरा गीत गा रहा है, लेकिन हर अंतरे पर नायिका उसके सारे किए-धरे...

ट्विटर की चिड़िया से ज्यादा पंख फड़फड़ाती कांग्रेस

केके मिश्रा अभी कांग्रेसी लेकिन पुराने समाजवादी हैं। अब तक मैं उन्हें कांग्रेस नेता, प्रवक्ता और वक्त आने पर अच्छे वक्ता के रूप में...

इनवेस्टर्स समिट के बाद शिवराज की चुनौतियां

इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शिवराज सिंह चौहान ने एक बात गौरतलब कही। साढ़े पंद्रह लाख करोड़ वाले निवेश के प्रस्तावों के बीच...

अविश्वास प्रस्ताव के बाद वाली कांग्रेस

मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। ध्वनिमत के साथ। संख्या बल के हिसाब से यह परिणाम अनपेक्षित नहीं था। अनपेक्षित यह...

यह कॉर्पोरेट कल्चर कांग्रेस का

दो घटनाक्रम याद आ गए। वह सज्जन तब कांग्रेस में तेजी से युवा नेता के तौर पर आगे बढ़ रहे थे। उन्होंने पत्रकारों को...

यात्रा नहीं, तफरीह कर रहे हैं राहुल

दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा के दौरान एक कॉमन बात रही। अलग-अलग जगह उनसे मिलने गए लोग एक बात पर जरूर गौर करते थे।...

हम अभिशप्त हैं ऐसे केक के उदाहरण झेलने को

मानव-निर्मित चीजों का कोई निश्चित स्वरूप नहीं होता। समय के हिसाब से खुद इंसान ही उनमें बदलाव करता जाता है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक...

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