मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को दिया जाने वाली आरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को निर्देश देते हुए कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण से जुड़े किसी भी मामले में सुनवाई नहीं करें.
तक इस विवादित मुद्दे का सुप्रीम कोर्ट द्वारा निराकरण नहीं कर दिया जाता, तब तक हाई कोर्ट कोई इस संबंध में कोई याचिका स्वीकार नहीं करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रकरणों में विवादित मुद्दे को शीघ्रता से निराकृत किया जाएगा. इस बीच मध्यप्रदेश शासन कानून के अनुसार विज्ञापन जारी करके भर्तियां करने के लिए स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी.
दरअसल, मप्र शासन ने 2023 से 2025 तक लगभग एक सैकड़ा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर की हैं. अधिकतर याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट में की जा रही सुनवाई पर रोक लगा दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 52 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान अपाक्स संघ की याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़कर दलील दी कि मप्र में सरकार 87:13 प्रतिशत के फार्मूले पर नियुक्ति दे रही है.
इन मामलों में पारित अंतरिम आदेशों की महाधिवक्ता द्वारा गलत व्याख्या करके त्रुटिपूर्ण अभिमत जारी किया गया है. इस कारण हजारों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
वहीं मप्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मप्र हाई कोर्ट आरक्षण के मामलों में निरंतर सुनवाई कर रहा है. इस कारण सुप्रीम कोर्ट में लंबित ट्रांसफर प्रकरण प्रभावित हो रहे हैं.