सुप्रीम कोर्ट ने आठ राज्यों को उन याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है, जिनमें धार्मिक परिवर्तन से संबंधित उनके बनाए कानूनों पर रोक लगाने की मांग की गई है।
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने उप्र, मप्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक के धार्मिक परिवर्तन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने राज्यों को जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया और कहा कि अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह (सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस की ओर से) ने कहा कि मामले की तत्काल सुनवाई जरूरी है, क्योंकि राज्य इन कानूनों को और सख्त बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में ये अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मंदिरों में भक्त जो पैसा चढ़ाते हैं, वह विवाह मंडप (मैरिज हॉल) बनाने के लिए नहीं होता है। अदालत ने उस आदेश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मंदिर फंड को सार्वजनिक या सरकारी धन नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 19 नवंबर तय की है।