मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन आज अनुपूरक बजट पर चर्चा हुई। दोनों पक्ष के विधायकों ने बजट के पक्ष-विपक्ष में अपने विचार रखे।
अनुपूरक बजट पर ओमप्रकाश सखलेचा ने सदन में कहा कि हमने लाडली बहना, आवास किसान और सिंचाई पर फोकस किया। नर्मदा के पानी का बटवारा 78 में हो गया था, उसके बाद 2006 तक उसके पानी की चिंता नही की। 2007 के बाद नर्मदा के पानी पर चर्चा की जाती है, जिसका असर खेतों में दिखता है। मैंने वो दिन भी देखा है जब गांव में बिजली, सड़क, बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं।
अब गांव की तस्वीर अलग दिखाई देती है। इस वर्ष को उद्योग वर्ष घोषित किया गया है। 200 लाख 27 करोड़ से ज्यादा का बजट रोजगार के लिए रखा। भावान्तर के लिए 500 करोड़ का प्रवधान किया गया है। भूअभिलेख के लिए बजट में बड़ा मद रखा गया है। विवाद से कभी विकास नहीं होता है।
बदनावर से कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने सदन में कहा कि साढ़े चार लाख करोड़ का कर्ज हो गया है प्रदेश में। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा हाथ की कठपुतली से कम नहीं हैं। पैसा उनसे ले लिया जाता, बाहर वह गाली खाते हैं। कर्ज में 60% पैसा खर्च हो रहा है। योजनाओं के लिए पैसा नहीं है। मुफ्त की योजनाओं के मैं विरोध में नहीं लेकिन यह आपकी बीमारी बाकी प्रदेश में भी शुरू हो गई है।
लाडली बहनों को लाभ नहीं दे रही बल्कि वोट खरीदने का नया फार्मूला है। नगद योजना रिश्वत की योजनाएं हैं। सब घोटाले ही घोटाले सामने आ रहे हैं। सरकार कहती है कि आंख मूंद कर सड़कों पर गाड़ी चला लो, सड़कों की स्थिति नहीं मालूम। सरकार तो विपक्ष की विधायक समेत जनता को निपटाना चाहती है। 15 करोड़ रुपए कांग्रेस के विधायकों को नहीं दिया, बाकी विधायकों को तो दे दिए। यह विसंगति क्यों.. पांच करोड रुपए विपक्ष को देने की बात कही थी, लेकिन बीजेपी के विधायक 15 करोड़ रुपए लेकर “गब्बर सिंह” हो गए।
कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने बजट अनुमान मांगों में किए गए प्रावधानों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि बजट में पिछड़ा वर्ग के लिए कोई प्रावधान नहीं है, अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों के लिए भी कोई राशि निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा कि “आप अभी से चेत जाइए, किसानों के मामलों का समाधान कीजिए, अन्यथा प्रदेश में हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं।
विधायक ने आरोप लगाया कि सरकार ने मक्का को न तो भावांतर योजना में शामिल किया और न ही उसका समर्थन मूल्य तय किया। उन्होंने कहा कि मेरा आग्रह है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए पूंजीगत व्यय में एक रुपये भी नहीं रखा गया है। क्या अब उनके संस्थानों में कोई भी धनराशि नहीं लगेगी?
उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग की अव्यवस्थाओं को भी कटघरे में खड़ा किया। कहा कि “सरकार ने लोकसभा समिति और चिकित्सा शिक्षा विभाग को तो मिला दिया, लेकिन उसकी हालत बदतर हो गई है। छिंदवाड़ा में कफ सिरप प्लांट है, इंदौर में मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है, छिंदवाड़ा में बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें नागपुर ले जाना पड़ता है। यह आपकी स्वास्थ्य सेवाओं की लाचारी को दर्शाता है।
विधायक बाला बच्चन ने आगे कहा कि प्रदेश में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी, आपसे कोई बात छुपी नहीं है। स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल ठीक से नहीं चल रही है।
शून्यकाल के बाद मंत्रियों ने पटल पर रखे पत्र
शून्यकाल की सूचनाओं के बाद सदन में मंत्री जगदीश देवड़ा, कैलाश विजयवर्गीय, उदय प्रताप सिंह, दिलीप अहिरवार, चेतन कश्यप और नारायण सिंह कुशवाह ने अपने-अपने विभागों से संबंधित पत्र पटल पर रखे। कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा के ध्यानाकर्षण पर ऊर्जा विभाग की ओर से अधिकृत मंत्री तुलसी सिलावट ने सदन में जवाब दिया।
वहीं कटनी के एक व्यापारी के घर हुई आगजनी और उस मामले में गैर-जमानती व गलत धाराएं लगाए जाने संबंधी विधायक प्रणव पांडे, अभिलाष पांडे और संदीप जायसवाल के ध्यानाकर्षण पर मंत्री नरेंद्र शिवाजी पाटिल ने सदन को जवाब दिया।
विधानसभा के प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल ने आरोप लगाया कि शिवपुरी जिले के किसानों को वादा किए गए 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे का भुगतान अभी तक नहीं हुआ। इस पर राजस्व मंत्री ने जवाब दिया कि 200 करोड़ रुपये किसानों को दिए जा चुके हैं। मंत्री के उत्तर से असंतुष्ट नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि नुकसान का कुल आकलन 5 हजार करोड़ है, लेकिन सरकार ने सिर्फ 200 करोड़ रुपये दिए हैं।
इस पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बोलते हुए कहा कि धान नुकसान का रिकॉर्ड सरकारी प्रणाली में उपलब्ध है और राशि का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार की तुलना में वर्तमान सरकार किसानों को प्रति हेक्टेयर अधिक मुआवजा दे रही है।
कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने कहा कि ग्वालियर चंबल संभाग में अतिवृष्टि से फसल नुकसान पर झूठे जवाब दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन किसानों की फसल को नुकसान होने की जानकारी दी जा रही है।
संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने झूठे जवाब देने की बात पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह आसंदी का अपमान है। यह बात सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह कही जा रही है। यह ठीक नहीं है।
राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने जवाब दिया कि राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के अंतर्गत प्राकृतिक का आपदा से फसल क्षति होने पर प्रभावितों को आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। मानदंड के अनुसार राहत राशि दी जाती है।



