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स्पेस से 9 महीने बाद धरती पर लौटीं सुनीता ने अनुभवों को किया साझा, भारत को बताया महान देश, इसरो की मदद का भी दिया आश्वासन

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नई दिल्ली। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स स्पेस में 9 महीने से अधिक समय बिताने के बाद 18 मार्च को घर पर लौट आई है। धरती पर वापसी करने के बाद सुनीता विलियम्स सोमवार को पहली बार मीडिया से रूबरू हुईं और अंतरिक्ष में बिताए अपने नौ महीनों के अनुभवों को साझा किया। इस दौरान उन्होंने भारत की भी खूब तारीफ की। मीडिया ने जब उनसे पूछा की स्पेस से भारत कैसा दिखता है तो उन्होंने कहा कि भारत एक महान देश है। यह रोशनी के नेटवर्क जैसा दिखता है। गुजरात, महाराष्ट्र से लेकर सभी छोटे-बड़े शहर और समुद्र… यह अद्भुत है।

उन्होंन कहा कि हर बार जब हम हिमालय के ऊपर से गुजरे तो बुच विल्मर ने हिमालय की अविश्वसनीय तस्वीरें खीचीं। अंतरिक्ष से हिमालय का नजारा शानदार है। हमें ऐसा लगता था जैसे लहरें उठ रही हों और भारत में नीचे की ओर बह रही हों। भारत के बहुत रंग हैं, जब आप ईस्ट से वेस्ट की तरफ जाते हैं तो वहां के तटों पर मौजूद मछली पकड़ने वाली नावों का बेड़ा गुजरात और मुंबई के आने का संकेत दे देता है। दिन में हिमालय को देखना अद्भुत था। भारत में बड़े शहरों से छोटे शहरों तक लाइट्स का नेटवर्क दिखता है, जो रात में अविश्वसनीय लगता है। इस दौरान उनसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ उनके सहयोग की संभावना के बारे में पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि जरूर। हम हर जरूरी मदद करेंगे।

मैं नई चुनौतियों की कर रही हूं तैयारी
सुनीता विलियम्स ने स्पेस से लौटने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में कहा कि हमें घर पहुंचाने के लिए मैं नासा, बोइंग, स्पेसएक्स और इस मिशन से जुड़े सभी लोगों का आभार जताना चाहूंगी। हमें धरती पर लौटे हुए लगभग दो हफ्ते हो गए हैं। अब हमसे पूछा जा रहा है कि हम क्या कर रहे हैं? तो बता दूं कि हम नई चुनौतियों के लिए तैयारी कर रहे हैं। नए मिशन की तैयारी कर रहे हैं। मैं कल ही तीन मील दौड़ी हूं तो अपनी पीठ तो थपथपा ही सकती हूं। सुनीता विलियम्स ने कहा कि हम पहली बार नए स्पेसक्राफ्ट में थे। हम जिस मिशन के लिए स्पेस स्टेशन गए थे, हमारा पूरा फोकस उस मिशन को पूरा करने पर था। हमने कई तरह के स्पेस एक्सपेरिमेंट किए। कभी नहीं लगा कि हम अंतरिक्ष में फंस गए हैं। हमें तो ये भी नहीं पता था कि धरती पर क्या हो रहा है? एक तरह से हम दुनिया के इर्द-गिर्द नहीं घूम रहे थे बल्कि दुनिया हमारे ईद-गिर्द घूम रही थी। स्पेस स्टेशन में लगातार रोटेशन फ्लाइट आ रही थी तो हमें तो पूरा यकीन था कि हम घर जरूर लौटेंगे।

भारत एक महान देश
संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने अपनी संभावित भारत यात्रा पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं अपने पिता के देश जाऊंगी। वहां मैं एक्सिओम मिशन पर जाने वाले भारतीय नागरिक से भी मुलाकात करूंगी। मैं उनसे कभी न कभी जरूर मिलूंगी। हम उनके साथ अपने अनुभव साझा करेंगे। भारत एक महान देश है। वहां एक शानदार लोकतंत्र है, जिसने अंतरिक्ष जगत में अपने कदम जमा लिए हैं। हम इसका हिस्सा बनना और उनकी मदद करने में जरा भी नहीं हिचकिचाएंगे।’ हालांकि, सुनीता विलियम्स की भारत यात्रा की तारीख अब तक तय नहीं है। बता दें कि सुनीता के पिता दीपक पांड्या गुजरात से थे और 1958 में अमेरिका आए थे। यहां उन्होंने क्लीवलैंड, ओहियो में मेडिसिन में इंटर्नशिप और रेजीडेंसी ट्रेनिंग की। सुनीता का जन्म ओहियो में दीपक और उसुर्लाइन बोनी पांड्या के घर हुआ था।

एक्सिओम मिशन 4 के बारे में जानिए
सुनीता ने एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्री मिशन का भी जिक्र किया। इसमें भारत के मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला भी शामिल होंगे। लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय वायुसेना के पूर्व अधिकारी राकेश शर्मा के बाद भारत की दूसरी अंतरिक्ष यात्री होंगे। उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले भी बताया है, यह लहर की तरह है। यह भारत में नीचे की ओर बहती है। यह कई रंगों में है। मुझे लगता है कि जब आप पूर्व से आते हैं, गुजरात और मुंबई की तरफ, वहां के तट से दूर मछली पकड़ने का बेड़ा आपको थोड़ा सा संकेत देता है कि हम यहां आ गए हैं। फिर पूरे भारत में मुझे जो आभास हुआ, वह बड़े शहरों से छोटे शहरों में नीचे जाने वाली रोशनी के एक नेटवर्क की तरह है। रात के साथ-साथ दिन के समय भी देखना अविश्वसनीय है।’

 

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