ममता यादव।
वह साल 2023 का 12 दिसंबर का दिन था, जब बना किसी पूर्व घोषणा के डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री घोषित किया गया था। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने पार्टी लाईन के मुख्य सूत्र महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे पहले काम शुरू किया।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है लाड़ली बहना योजना। जिसमें लाभार्थी महिलाओं को मिलने वाली राशि पहले 1000 थी फिर 1250 हुई और अब 1500 हो गई है। यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शिता है कि वे इस योजना के तहत लाड़ली बहनों को 3000 रूपए माह देने की घोषणा कर चुके हैं।
जो कहा वह किया लाड़लियों का अधिकार सीधे उनके हाथ में
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जो कहते है उसे पूरा करते है। डॉ. यादव ने प्रदेश की लाड़ली बहनो से दीपावली के बाद मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में 250 रूपये प्रति माह की वृद्धि करते हुए 1250 रूपये की जगह 1500 रूपये प्रति माह देने का जो वायदा किया था वह पूरा हो गया है। अब लाड़ली बहनो के खातों में प्रति माह 1500 रूपये की राशि अंतरित की जाएगी।
लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने 1.27 करोड़ बहनों के खाते में 1551.86 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता उनके खातों में पहुंच रही है। न केवल पैसा, बल्कि डिजिटल साक्षरता भी दी जा रही है ताकि बहनें सिर्फ उपभोक्ता नहीं, डिजिटल युग की सहभागी बनें।
एक वक्त था जब महिलाएं सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार को लेकर असमंजस में थीं, आज मध्यप्रदेश में हालात बदल रहे हैं। राज्य सरकार महिलाओं को केवल सहयोग नहीं, बल्कि सम्मान और स्वावलंबन की नई पहचान देने की दिशा में काम कर रही है। आज मध्यप्रदेश सिर्फ योजनाएं नहीं बना रहा, वह एक ऐसी सोच का निर्माण कर रहा है जहां महिला होना कमजोरी नहीं, शक्ति का पर्याय है। यह बदलाव धीरे-धीरे हर घर, हर गांव और हर शहर में देखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश की महिलाओं के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण के लिये निरंतर प्रयासरत होकर सक्रियता पूर्वक कार्य कर रहे है। उनका कहना है कि हम नारी सशक्तिकरण को केवल योजना के रूप में नहीं जन आंदोलन के रूप में देख रहे है। नारी शक्ति मिशन हमारे इस दृष्टिकोण का विस्तार है जिसमें हर जिले से महिलाओं को जोड़ा जा रहा है।
कामकाजी महिलाओं को अब अपना सुरक्षित आवास
घर से बाहर दूसरे शहरों में कामकाज के सिलसिले में आईं महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है कि सर पर छत हो। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए इंदौर और भोपाल में 250 बेड क्षमता के 3 वर्किंग वुमन हॉस्टल संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा “स्कीम फॉर स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट” योजना में वर्ष 2024-25 में 5412 बिस्तरीय 8 नये हॉस्टलों को मंजूरी दी गई है। इनमें से 4 महिला एवं बाल विकास विभाग और 4 उद्योग विभाग द्वारा संचालित किये जायेगे। इसमें सिंगरौली, देवास, नर्मदापुरम और झाबुआ में 100-100 बिस्तरों के 4 हॉस्टलों के लिए 40.59 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। अब घर से दूर काम करने वाली महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास मिलेगा।
जब ज़िंदगी मुश्किल हो, तब साथ देता है वन स्टॉप सेंटर
घरेलू हिंसा, शोषण या किसी भी संकट में फंसी महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। प्रदेश में 57 वन स्टॉप सेंटर पहले से ही संचालित हैं। जिनके माध्यम से वर्ष 2024-25 में 31 हजार 763 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई। अब 8 और नए सेंटर मंजूर किए गए हैं- पेटलावद, पीथमपुर, मनावर, लसूडिया, साबेंर, मैहर, पांढूर्णा और मऊगंज में वन स्टॉप सेंटर की मंजूरी दी गई है। अब तक कुल एक लाख 27 हजार 94 संकटग्रस्त महिलाओं को इन केन्द्रों से लाभ मिल चुका है।
एक कॉल, और मदद हाजिर
महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को अब 112 आपात सेवा से जोड़ा गया है। यानी अब कोई भी महिला मुसीबत में हो तो सिर्फ एक कॉल से पुलिस, काउंसलिंग, आश्रय और कानूनी मदद सब एक साथ मिल सकती है। वर्ष 2024-25 में लगभग 82 हजार 552 महिलाओं को त्वरित सहायता मिली है। योजना के प्रारंभ से अब तक एक लाख 57 हजार महिलाओं को लाभ मिल चुका है।
छोटे कदम, बड़ी उड़ान – लाड़ली लक्ष्मी योजना
मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 2 लाख 73 हजार 605 बालिकाओं का पंजीकरण हुआ और लगभग 223 करोड़ रूपये से अधिक की छात्रवृत्ति यूनि-पे के जरिए वितरित की गई। अब तक कुल 50 लाख 41 हजार 810 बेटियां इस योजना का हिस्सा हैं।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में विगत वर्षों की तरह ही इस वर्ष भी मध्यप्रदेश द्वारा शत प्रतिशत पात्र हितग्राहियों को आर्थिक सहायता प्रदाय की गई। वर्ष 2024-25 में लगभग 6 लाख 30 हजार 929 हितग्राही महिला पंजीकृत किये गये।
आत्म-निर्भरता की राह पर महिला उद्यमिता
मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना ने हजारों महिला समूहों को कम ब्याज पर ऋण दिलाकर उनके छोटे-छोटे व्यवसायों को सहारा दिया है। अब महिलाएं न सिर्फ घर चला रही हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं। अब तक 30 हजार 264 महिला समूहों और 12 हजार 685 महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में 648.67 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है।
कठिन वक्त में “शक्ति-सदन” बन रहा सहारा
ऐसी महिलाएं और बच्चियां जो बेहद कठिन हालात में हैं, उनके लिए 13 जिलों में 14 शक्ति सदन संचालित किये जा रहे हैं, जहां उन्हें सुरक्षित अस्थायी आश्रय मिलता है। वर्ष 2024-25 में एक हजार 824 महिलाएं और 461 बच्चे लाभान्वित हुए है। आगामी समय में सभी 10 संभागीय मुख्यालयों में शक्ति सदन स्थापित किये जायेगें।
सशक्त वाहिनी से बदलाव- 156 को मिली नौकरी
‘सशक्त वाहिनी’ के तहत हजारों बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और आत्म रक्षा प्रशिक्षण मिला है। इसके तहत 11 हजार से अधिक बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये शैक्षणिक एवं शारीरिक प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 156 युवतियों का विभिन्न सरकारी पदों पर चयन हुआ। साथ ही 2.6 लाख से अधिक महिलाओं ने सुरक्षा और अधिकारों को लेकर जागरूकता अभियान में भाग लिया।
एक राज्य, एक संकल्प – नारी शक्ति को देना सम्मान
राज्य सरकार द्वारा नारी शक्ति मिशन के तहत जिला, परियोजना और ग्राम स्तर पर 100 दिवसीय जागरूकता “हम होंगे कामयाब अभियान” चलाया गया। इसमें प्रदेश में जेंडर संवादों, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, सायबर सुरक्षा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की महिलाओं को न केवल जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना भी सिखाया गया। निश्चित ही सरकार के इन प्रयासों से मध्यप्रदेश में महिलाएँ स्वाबंलबी हो रही है और सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर रही है।
देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन
यह मिशन प्रदेश में लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया। यह मिशन महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। इस मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों को स्टार्ट-अप अभियान से जोड़ा गया, जिसमें 8 करोड़ 10 लाख रुपये के निवेश पत्र वितरित किए गए। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के लिए न केवल सशक्तिकरण के अवसर पैदा किए गए हैं, बल्कि अब महिलाएं पारंपरिक घरेलू कार्यों से बाहर निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
यूनिसेफ ने सराहा सैनिटेशन और हाइजीन
सैनिटेशन और हाइजीन योजना के तहत प्रदेश की 19 लाख से अधिक बालिकाओं को 57 करोड़ 18 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है जिससे किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। यूनिसेफ ने भी मध्यप्रदेश के इन प्रयासों की सराहना की है।
इसके अलावा पुरस्कार समारोह, आयोजन और विचार मंचों पर मुख्यमंत्री ने बार-बार महिला सशक्तिकरण योजनाओं और नीतियों का जिक्र किया है, जिससे सरकारी प्राथमिकता स्पष्ट होती है।
महिलाओं के लिए अलग-अलग केंद्रों का विस्तार
राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण केंद्र को सभी 55 जिलों तक ले जाने का निर्णय लिया है ताकि योजनाओं का लाभ स्थानीय स्तर पर बेहतर मिल सके।
रोजगार में महिला आरक्षण
मध्यप्रदेश में सरकार ने राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए रिक्तियों में 35% आरक्षण को मंज़ूरी दी है, ताकि प्रोफेशनल उन्नति के अवसर बढ़ें।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए भर्ती
मुख्यमंत्री ने 12,075 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मेरिट-आधारित ऑनलाइन भर्ती के तहत नियुक्ति पत्र वितरित किए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि यदि नारी सशक्त होगी, तो समाज और प्रदेश स्वतः सशक्त होगा। सरकार का लक्ष्य 2047 तक मध्यप्रदेश को विकसित भारत के साथ एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाना है, जिसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनका मानना है कि समाज में महिलाओं को समान अवसर देना न केवल उनके विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि नारी शक्ति मिशन हमारे इस दृष्टिकोण का विस्तार है जिसमें हर जिले से महिलाओं को जोड़ा जा रहा है।
कुलमिलाकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। एक तरफ आज जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं वहीँ लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना और नारी शक्ति मिशन जैसी अनेकों महिला केन्द्रित योजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश की महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं। स्व-सहायता समूहों ने न केवल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि महिलाओं को समाज में सम्मान और स्वावलंबन की नई पहचान दी है।



