न्याय की उम्मीद में उज्जैन के माकड़ौन क्षेत्र से एक बुजुर्ग दंपत्ति सोमवार को जनसुनवाई में पहुंचे। पत्नी लकवाग्रस्त थीं, जिन्हें उनका पोता व्हीलचेयर पर बैठाकर लेकर आया।
दंपत्ति की हालत और उनकी पीड़ा देखकर अधिकारी भी कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गए। जनसुनवाई के दौरान ऐसा दृश्य सामने आया जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया।
शिकायत सुनाते समय बुजुर्ग व्यक्ति रो पड़े। उन्होंने बताया कि उनके ही तीन बेटों और बहुओं ने मिलकर उन्हें घर से निकाल दिया और मारपीट तक की। वृद्ध ने दर्द भरी आवाज में कहा, “29 सितंबर से घर से बाहर हूं… रिश्तेदारों के सहारे रह रहा हूं।
जमीन, मकान-सबमें हिस्सा दे चुका हूं, फिर भी बेटों का लालच खत्म नहीं हुआ। मुझे और मेरी लकवाग्रस्त पत्नी को घर से धक्के देकर निकाल दिया।” इतना कहते ही बुजुर्ग की आवाज कांप गई और आंखें भर आईं।
मामले में सबसे संवेदनशील पहलू यह रहा कि जब बेटों ने अपने माता-पिता को ठुकरा दिया, तब एक पोते ने इंसानियत और रिश्तों की मिसाल पेश की।
वह अपने दादा को संभालते हुए और दादी को व्हीलचेयर पर बैठाकर जनसुनवाई स्थल तक लेकर आया। पोते की यह जिम्मेदारी और संवेदनशीलता देखकर वहां मौजूद कई लोग भावुक हो उठे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जनसुनवाई में उपस्थित डिप्टी कलेक्टर शाश्वत शर्मा तुरंत कार्रवाई में जुट गईं। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग दंपत्ति की शिकायत वरिष्ठजन भरण-पोषण अधिनियम के तहत दर्ज की जा रही है।
एसडीएम को तत्काल केस दर्ज करने और दोनों पक्षों को सुनकर बुजुर्ग दंपत्ति को राहत देने के निर्देश दिए गए हैं। डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि बुजुर्ग दंपत्ति को न्याय दिलाने के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।



