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सीएम के वन ग्रामों का फिर से सर्वे की घोषणा का सिंघार ने किया, दागे कई सवाल भी

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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वन ग्रामों का फिर से सर्वे कराना और आदिवासियों को पट्टे दिलाने की घोषणा की है। सीएम के इस फैसले का नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने स्वागत किया है। वहीं सिंघार ने इसे आदिवासियों की जीत बताते हुए सरकार से सवाल भी पूछे हैं।

उमंग सिंघार ने शनिवार भोपाल में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की आदिवासियों के पट्टे को लेकर की गई घोषणा प्रदेश के आदिवासियों की जीत है। सरकार को आदिवासियों की पीड़ा और संघर्ष के आगे झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि वन ग्रामों में फिर से सर्वे होगा और जो छूटे हैं उन्हें पट्टे दिए जाएंगे यह एक स्वागत योग्य कदम है।

उन्होंने कहा कि हमने नेपानगर क्षेत्र में आदिवासियों के वन भूमि के पट्टों के अधिकार के लिए आंदोलन शुरू किया था और यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। उमंग सिंघार ने आगे कहा कि सिर्फ घोषणा ही समाधान नहीं है, सरकार इन बिंदुओं पर जवाब दे:-

  • जिन 3.5 लाख वनाधिकार पट्टों को आपने निरस्त किया, क्या उनका दोबारा सर्वे होगा?
  • जो 1.25 लाख नए आवेदन आए हैं, क्या उन्हें भी इस सर्वे में शामिल किया जाएगा?
  • सरकार सर्वे कब तक कराएगी? क्या इसकी कोई समय-सीमा तय की गई है?
  • सर्वे के लिए कमेटी का गठन कब होगा? कौन जिम्मेदार होगा, और कब तक टीम गांवों में पहुंचेगी?

सिंघार ने कहा यह सिर्फ एक खाली घोषणा लग रही है। जिससे प्रदेश के आदिवासियों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलने वाला। सरकार को इन सवालों का तत्काल और स्पष्ट जवाब देना चाहिए।

कौन काट रहा है जंगल, इसकी इसकी जांच हो
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कौन काट रहा है आदिवासियों के जंगल? सरकार इस पर जांच कराए। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि पिछले दो-तीन वर्षों में कई इलाकों में जंगल तेजी से साफ हो रहे हैं? क्या इसमें वन विभाग की मिलीभगत है? बार-बार आदिवासियों पर आरोप लगाया जाता है कि वो जंगल काट रहे हैं – लेकिन सच्चाई क्या है?

उमंग सिंघार ने अंत में कहा कि सरकार को इस पूरे मामले की तत्काल निष्पक्ष जांच करानी चाहिए, ताकि जंगल बचें और आदिवासियों को बदनाम करने की साजिश भी सामने आ सके। गौरतलब है कि आदिवासियों के पट्टों और अधिकारों को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने नेपानगर में एक बड़ी रैली की थी और सरकार को 15 दिन में मामलों का निराकरण ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी।

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