लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात कही जा रही है। इस चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हटने की खबरें चल रही है, ऐसे में इस पद के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज का नाम इस पद के लिए रेस में सबसे आगे है।
इस बार कुल 8360 उम्मीदवारों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के मुताबिक, 1333 नेशनल पार्टी से, 532 स्टेट पार्टी से, 2580 गैर मान्यता प्राप्त पार्टी से और 3915 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा।
जीतू पटवारी ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव बड़ा ही रोचक रहा, परंतु उसके बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी, सबसे ज्यादा महंगाई, सबसे ज्यादा कृषक यातना एवं सबसे ज्यादा परेशानियां इस देश के लोगों ने सही हैं।
दिग्विजय ने पार्टी लाइन पर चलते हुए एक बार फिर कांग्रेस की संभावित असफलता का दोष अभी से ईवीएम पर मढ़ने की कोशिश शुरू कर दी है। यहीं से घुन और धुन की बात आती है। सिंह का यह बयान खुद उन सहित समूची कांग्रेस और उसके साथी दलों की सोच पर लगी घुन का प्रतिनिधित्व करता है। लंबा समय बीत गया, जब देश के निर्वाचन आयोग ने सभी दलों को खुली चुनौती दी थी कि वे ईवीएम में गड़बड़ी की बात साबित कर दें।
पटवारी, सिंघार और कटारे को उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं। बरसों बरस बाद पंजे ने दिमाग को टटोला है। कांग्रेस के सच्चे शुभचिंतक यही चाहेंगे कि यह क्रम बना रहे। बाकी उनके भीतर यह आशंका कायम रहना भी स्वाभाविक है कि पंजा एक बार फिर दिमाग से फिसलकर दिल की तरह न चला जाए।
कांग्रेस व्यवहारिकता के हिसाब से मुद्दों के टोटो और उनके नाम पर तोता रटंत की शिकार होकर रह गयी। जबकि भाजपा ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह अपने सामाजिक समरसता वाले वाक्य के अनुरूप आगे बढ़ने में ही यकीन रखती है।