नागपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नागपुर के दौरे पर रहे। जहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में शिरकत की। पीएम आरएसएस मुख्यालय केशव कुंज भी पहुंचे और संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। पीएम ने संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर आरएसएस की खूब सराहना की। पीएम ने कहा कि आरएसएस भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वट वृक्ष है। पीएम ने खुद को भी स्वयंसेवक बताया।
मोदी ने कहा, आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार और विचारक एमएस गोलवलकर (गुरुजी) ने देश को नई ऊर्जा दी। 100 साल पहले बोया गया विचारधारा का बीज आज दुनिया के सामने इस बड़े वृक्ष के रूप में विकसित हो गया है। पीएम ने केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। बता दें कि पीएम बनने के बाद मोदी पहली बार संघ कार्यालय पहुंचे। इससे पहले जुलाई 2013 में वह लोकसभा चुनाव के सिलसिले में हुई बैठक में शामिल होने नागपुर आए थे।
इन्होंने नहीं बुझने दिया राष्ट्र की चेतना को
संघ की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा, संघ के सिद्धांत और मूल्य इस वृक्ष को बहुत ऊंचाई देते हैं. लाखों कारसेवक इसकी शाखाएं हैं। यह कोई आम वृक्ष नहीं है, यह आरएसएस है, जो भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वट वृक्ष है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद से लेकर डॉक्टर साहब तक, किसी ने भी राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक महान वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धांत और आदर्श इस वटवृक्ष को ऊंचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।
आक्रमणों के बाद भारत की चेतना नहीं हुई कम
पीएम ने भारत की आजादी का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।
आत्मविश्वास से भरा हुआ युवा धर्म से जुड़ा
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी हमारा युवा है। देश का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उसकी रिस्क-टेकिंग कैपेसिटी पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। वह इनोवेशन कर रहा है, स्टार्टअप की दुनिया में परचम लहरा रहा है। अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है। महाकुंभ में हमने देखा कि लाखों-करोड़ों की संख्या में युवा पीढ़ी पहुंची और सनातन परंपरा से जुड़कर गौरव से भर उठी। भारत का युवा आज देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है। यही युवा 2047 के विकसित भारत की ध्वजा थामे हुए हैं। मुझे भरोसा है कि संगठन, समर्पण और सेवा की त्रिवेणी विकसित भारत की यात्रा को ऊर्जा और दिशा देती रहेगी।