भोपाल। मध्यप्रदेश में लंबे समय सम ट्रांसफर के इंतजार में बैठे अधिकारियों-कमर्सचारियों के लिए राहत भरी खबर है। दरअसल मप्र सरकार ने तबादलों को लेकर संशोधित तबादला नीति जारी कर दी है। हालांकि यह तबादले विभागीय मंत्री की अनुमति से ही हो सकेंगे। नई गाइडलाइन के अनुसार विशेष परिस्थिति में विभागीय मंत्री अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर कर सकेंगे। इस संबंध में बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने कुछ शर्तों के तहत शासकीय कर्मचारियों के ट्रांसफर के लिए एक नीति जारी की है। बता दें कि सरकारी कर्मचारी लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे।
ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में अभी राज्य और जिला स्तर पर स्थानांतरण पर प्रतिबंध है। शासन ने 24 जून 2021 को राज्य एवं जिला स्तर पर ट्रांसफर नीति जारी की थी। सरकार ने कार्य की सुविधा से उपरोक्त नीति की कण्डिका 9 में संशोधन किया है। इसमें विभाग के मंत्री विशेष परिस्थिति में ट्रांसफर कर सकेंगे। संशोधित ट्रांसफर पॉलिसी में गंभीर बीमारी यथा कैंसर, लकवा, हार्ट के मरीज को तबादले में प्राथमिकता मिलेगी। ऐसे न्यायालयीन निर्णय के अनुक्रम में, जिसके माध्यम से प्रदत्त आदेश के अनुपालन के अतिरिक्त और कोई विधिक विकल्प शेष न हो, लेकिन ऐसी परिस्थिति में स्थानांतरित किए जा रहे स्थान पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के ट्रांसफर विभागीय मंत्री के अनुमोदन से होंगे। जिन कर्मचारियों के खिलाफ जांच चल रही है, उनका तबादला नहीं होगा। जांच प्रभावित होने की आशंका को लेकर नियम में बदलाव किया गया है। गंभीर बीमारी से जुड़े हुए मामलों में भी ट्रांसफर हो सकेंगे।
महेश्वर कैबिनेट में प्रस्ताव को मिली थी हरी झंडी
बता दें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षा में महेश्वर में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई थी। वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त उच्च प्राथमिकता के प्रकरणों में सचिव प्राशसकीय अनुमोदन प्राप्त कर आदेश जारी कर सकेंगे। साथ ही ऐसे ट्रांसफर प्रकरण जिनको करने में विभाग नीति के अनुरूप नहीं पाता है तो ऐसे प्रकरण विभागीय सचिव, विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद कारण समेत अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय को दोबारा प्रस्तुत कर अग्रिम आदेश प्राप्त करेंगे। इसके अलावा ट्रांसफर नीति के तहत ट्रांसफर करते हुए यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जिस स्थान से ट्रांसफर किया जा रहा है, उस स्थान पर रिक्त पदों का प्रतिशत ट्रांसफर किए जा रहे स्थान से अधिक तो नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में ट्रांसफर नहीं किया जाएगा।
इन परिस्थितियों में शामिल हैं-
- स्वास्थ्य कारण- जैसे गंभीर बीमारियां (कैंसर, लकवा, दिल का दौरा आदि) के कारण तत्काल स्थानांतरण की आवश्यकता हो।
- न्यायालय के आदेश- यदि किसी न्यायालय का आदेश हो और उस आदेश का पालन करना आवश्यक हो, लेकिन स्थानांतरण के दौरान कर्मचारी पर कोई विभागीय कार्रवाई लंबित न हो।
- गंभीर शिकायत या अनियमितता- यदि शासकीय कर्मचारी के खिलाफ गंभीर शिकायत या लापरवाही हो और विभाग ने उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की हो।
- आपसी अपराध मामला- यदि लोकायुक्त या पुलिस ने कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया हो और जांच में कोई रुकावट न हो, तो इस कारण भी स्थानांतरण किया जा सकता है।
- रिक्त पदों की पूर्ति- यदि किसी कर्मचारी के निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति या मृत्यु के कारण पद खाली हो और विभाग को लगे कि उस पद को भरना जरूरी है, तो भी स्थानांतरण किया जा सकता है।