नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक ऐसा सच स्वीकार कर लिया है जो उनके लिए मुसीबत भी बन सकता है। दलित इनफ्लएंशर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले 90 के दशक में दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि उन्हें यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि पार्टी उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में वंचित वर्गों द्वारा जताया गया भरोसा बरकरार रखने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वे ऐसा नहीं कहते हैं तो इसका मतलब है कि वे झूठ बोल रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस की नीतियों में चूक की वजह से ही आरएसएस-बीजेपी सत्ता में आई।
राहुल गांधी ने कहा कि कहा कि अगर एक बार कांग्रेस का ‘आॅरिजिनिल बेस’ पार्टी के साथ आ जाए तो बीजेपी और आरएसएस को भागना पड़ेगा और ऐसा जल्द होगा। उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों को केवल राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलने से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, जब तक कि उन्हें संस्थाओं और संपत्ति में भागीदारी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि अगर एक बार कांग्रेस का आॅरिजिनिल बेस पार्टी के साथ आ जाए तो बीजेपी और आरएसएस को भागना पड़ेगा और ऐसा जल्द होगा। गांधी ने कहा कि दलितों और पिछड़ों की मुक्ति का एक नया चरण आकार लेना शुरू हो रहा है।
हमें झूठ बोलना पसंद नहीं
राहुल गांधी ने कहा कि मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस ने पिछले 10-15 सालों में वह नहीं किया जो उसे करना चाहिए था। अगर मैं यह नहीं कहूंगा तो मैं आपसे झूठ बोलूंगा। और मुझे झूठ बोलना पसंद नहीं है। यही हकीकत है। अगर कांग्रेस पार्टी ने दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों का भरोसा कायम रखा होता तो आरएसएस कभी सत्ता में नहीं आती। अपनी दादी इंदिरा के कार्यकाल को याद करते हुए राहुल ने कहा कि तब कांग्रेस के पास दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों का पूरा सपोर्ट था लेकिन 1990 के दशक में ‘कुछ कमियां रही’, और ये तथ्य पार्टी से छिपा नहीं है।
इंदिरा के समय इनका कांग्रेस पर था पूरा भरोसा
अगर कांग्रेस पार्टी दलितों, पिछड़ों का साथ देती और उनका विश्वास बनाए रखती तो आरएसएस कभी सत्ता में नहीं आ पाता। उन्होंने आगे कहा, इंदिरा गांधी के समय में दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों का कांग्रेस पर पूरा भरोसा था। लेकिन 1990 के बाद इसमें कमियां आ गईं। इस सच्चाई को कांग्रेस को स्वीकार करना होगा। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान सभा में किसी ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का नाम लिया। ये इशारा करते हुए कि उनके ही कार्यकाल में दलितों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों का भरोसा कांग्रेस में कम हुआ होगा। इस पर राहुल गांधी ने कहा, मैं नाम नहीं लूंगा, लेकिन यह सच्चाई है और कांग्रेस को इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा।
… तब तक नहीं होगा समस्या का समाधान
गांधी ने जोर देकर कहा कि जब तक दलितों और पिछड़ों को सत्ता में उचित हिस्सा नहीं मिलेगा, तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शिक्षा व्यवस्था में दलितों और पिछड़ों को भागीदारी तो दी, लेकिन उन्हें नियंत्रण नहीं मिला। उन्होंने कहा, फिलहाल कोई नियंत्रण नहीं है। शून्य। आपको आंशिक नियंत्रण मिल सकता है, पूर्ण नहीं। लेकिन वर्तमान में यह शून्य है। राहुल गांधी ने कहा कि अंबेडकर ने दलित और पिछड़े वर्गों के विचारों और सुझावों को मूर्त रूप दिया, जिससे उन्हें अपनी समस्याओं, दर्द और अस्पृश्यता के बारे में पता चला।
तो भाग जाएगी भाजपा और आरएसएस
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बीजेपी-आरएसएस को सत्ता से बाहर खदेड़ने के लिए रणनीति बताई, जिस दिन हम एकजुट हो जाएंगे, वे भाग जाएंगे। जिस दिन कांग्रेस पार्टी का मूल आधार एकजुट हो जाएगा, भाजपा, आरएसएस भाग जाएगी। हमें अपनी एकता पर काम करना होगा। हमें दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों की बात सुननी होगी और उन्हें आगे ले जाना होगा। लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा करने में कुछ साल लगेंगे।
भाजपा कांग्रेस का कुछ नहीं बिगाड़ सकती
कांग्रेस नेता ने कहा कि आप इसे कुछ महीनों से देख सकते हैं। भाजपा कांग्रेस का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। वे देश नहीं चला सकते। वे धोखेबाज हैं और पूरी तरह धोखेबाज हैं। राहुल गांधी ने डॉ। बीआर अंबेडकर को दलितों का हितैषी और बेजुबानों को आवाज देने वाला व्यक्ति बताया। उन्होंने कहा,आप राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात करते हैं और कांशीराम ने राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन उन्होंने राजनीतिक प्रतिनिधित्व को अप्रासंगिक बना दिया है।