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राहुल ने सेना के शौर्य पर उठाया सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लगाई लताड़

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नई दिल्ली। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गाध्ांी को सुप्रीम कोर्ट ने कडी फटकार लगाई है। मानहानि के खिलाफ राहुल द्वारा दायर की की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो आप ऐसी बातें नहीं कहेंगे। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने राहुल से यह भी सवाल किया आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर तक भारत की जमीन हड़प ली है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते।

सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने राहुल गांधी की तरफ से दिए गए बयानों पर असहमति जताई। साथ ही ऐसे बयान देने से बचने की नसीहत देते हुए कहा, आप विपक्ष के नेता हैं, संसद में अपनी बात कहें, सोशल मीडिया पर नहीं। राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शुरूआत में दलील दी कि अगर कोई विपक्षी नेता मुद्दे नहीं उठा सकता, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी। अभिषेक सिंघवी ने कहा, श्अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते। पीठ की सच्चे भारतीय टिप्पणी पर अभिषेक सिंघवी ने जवाब दिया, यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार डाला गया। यह भी चिंता का विषय है।

जस्टिस का सवाल- संसद में क्यों नहीं बोलते
इस पर जस्टिस दत्ता ने पूछा, आपको जो कुछ भी कहना है, संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह क्यों कहना है? राहुल गांधी के बयान पर असहमति जताते हुए जस्टिस दत्ता ने पूछा, आप बिना किसी सबूत के ये बयान क्यों दे रहे हैं। अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप यह सब नहीं कहते। इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा, श्जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य है? इस पर अभिषेक सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी केवल उचित जानकारी देने और सूचना के दमन पर चिंता जताने की बात कर रहे थे।

सवाल उठाने के लिए मौजूद था उचित मंच
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि एक जिम्मेदार विपक्ष नेता होने के नाते, राहुल गांधी को ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि ऐसे सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच मौजूद था। इस बात से सहमत होते हुए कि राहुल गांधी बेहतर तरीके से टिप्पणी कर सकते थे, अभिषेक सिंघवी ने कहा कि शिकायत याचिकाकर्ता को परेशान करने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। इस दौरान उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 का हवाला दिया और कहा कि अदालत की तरफ से किसी आपराधिक शिकायत का संज्ञान लेने से पहले अभियुक्त की पूर्व सुनवाई अनिवार्य है, जो वर्तमान मामले में नहीं की गई।

शिकायतकर्ता ने क्या लगाया था आरोप?
बता दें कि शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने एक अदालत में दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया कि दिसंबर 2022 की यात्रा के दौरान, गांधी ने चीन के साथ सीमा गतिरोध के संदर्भ में भारतीय सेना के बारे में कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं। इसके बाद निचली अदालत ने मुकदमे का सामना करने के लिए राहुल गांधी को आरोपी के रूप में समन किया। राहुल गांधी के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने तर्क दिया था कि शिकायत को पढ़ने से ही आरोप मनगढ़ंत प्रतीत होते हैं। यह भी तर्क दिया गया कि राहुल गांधी लखनऊ के निवासी नहीं हैं, इसलिए उन्हें इस शिकायत पर तलब करने से पहले अधीनस्थ न्यायालय को आरोपों की सत्यता की जांच करनी चाहिए थी और उन्हें तभी तलब किया जाना चाहिए था जब आरोप प्रथम दृष्टया सुनवाई के लिए उपयुक्त पाए जाते।

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