भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते 9 वर्षों से लटक रहा पदोन्नति का ड्राफ्ट फिर लटक गया। अब कर्मचारियों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। उम्मीद थी कि आज होने वाले कैबिनेट बैठक में यह ड्राफ्ट आ जाएगा लेकिन इसकी संभावना कम से कम लग रही है, क्योंकि यह एजेंड में सुबह तक शामिल नहीं था। यदि एक्स एजेंडे में इसे शामिल कर चर्चा कर मंजूरी मिल जाए तो यह बात अलग है।
सूत्रों के मुताबिक पदोन्नति को लेकर जो ड्राफ्ट सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बनाया था, उसे वरिष्ठ स्तर से खारिज कर दिया। दूसरा ड्राफ्ट बनाने के निदेर्शा दिए, जब वह ड्राफ्ट बनाकर पेश किया गया तो वह भी पसंद नहीं आया। इस तरह ड्राफ्ट तो कई बन चुके है लेकिन किसी को भी स्वीकार्यता नहीं मिली है। बताया जा रहा है कि पदोन्नति आसान नहीं है, इसमें सभी वर्ग व संवर्ग के कर्मचारियों को संतुष्ट कर पाना संभव ही नही है, यदि ऐसा नहीं हुआ तो कैबिनेट से मंजूरी के बावजूद नीति को कर्मचारी जगत में स्वीकार्यता नहीं मिलेगी और मामला फिर से कोर्ट में पहुंच सकता है।
सीएम कर चुके हैं घोषण
सीएम डॉ. मोहन यादव कर्मचारियों को पदोन्नति देने संबंधी घोषणा कर चुके हैं, उनके अनुसार पदोन्नति मिलनी चाहिए, इसमें कोई कमी है तो उसे पूरा कियाा जाएगा। उनकी मंशा को देखते हुए सामान्य प्रशासन के अफसरों ने पदोन्नति पर काम शुरू किया है लेकिन अब तक ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे है।
कर्मचारी संगठन प्रमुख जता रहे आपत्ति
इधर कई कर्मचारी संगठनों के प्रमुखों का कहना है कि इस तरह देरी नहीं की जानी चाहिए। सभी से चर्चा कर एक राय बनानी होगी, ताकि 9 साल से बंद पदोन्नति के विकल्प खोले जा सके। वहीं पदोन्नति ड्राफ्ट बना रहे वरिष्ठ अधिकारी इन संगठनों के प्रमुखों से खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। जिसकी वजह से मामला लटका हुआ है, ये आरोप लगा रहे हैं कि अधिकारी मनमर्जी चलाकर नुकसान करवाना चाहते हैं, सरकार के पर नए कोर्ट थोपने की साजिश कर रहे हैं।