नई दिल्ली। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस इन दिनों चीन की यात्रा पर हैं। वह बुधवार को चीन की यात्रा पर पहुंचे हैं। चीन में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद नजमुल और हैनान प्रांत के उप-राज्यपाल ने कियोनघाई बोआओ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यूनुस का स्वागत किया। खास बात यह है कि उनकी प्राथमिकता पहले भारत का दौरा करने की थी, लेकिन भारत सरकार से कोई तवज्जो न मिलने के बाद उन्होंने चीन की ओर रुख किया। इन सबके बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोहम्मद यूनुस को लिखी है। जिसमें बांग्लादेश की स्वतंत्रता का जिक्र किया है। बता दें कि बांग्लादेश अपना स्वतंत्रता दिवस 26 मार्च को मनाता है। पीएम मोदी ने यूनुस को यह पत्र में भी बांग्लादेश की स्वतंत्रता पर लिखा है, जिसमें उन्होंने यूनुस को बांग्लादेश को इतिहास याद दिलाया है। यहा पर बता दें कि 1971 में जब भारत की सैन्य सहायता के बदौलत बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बना था।
बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग द्वारा साझा किये गए संदेश में पीएम मोदी ने बांग्लादेश के लोगों को शुभकामनाएं देते हुए लिखा है, यह दिन हमारे साझा इतिहास और बलिदान का प्रमाण है, जिसने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की नींव रखी है। दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को स्वीकार करते हुए उन्होंने आगे कहा, बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की भावना हमारे संबंधों के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है, जो कई क्षेत्रों में फली-फूली है और हमारे लोगों को ठोस लाभ पहुंचा रही है। हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं और एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मोदी ने चिट्ठी में इतिहास का किया जिक्र
मोदी ने इस चिट्ठी में इतिहास का भी जिक्र किया और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की अटूट भावना को भारत-बांग्लादेश के मजबूत संबंधों की नींव बताया, और सूक्ष्म रूप से बांग्लादेश को उसकी स्थापना में भारत की भूमिका की याद दिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पत्र में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का जिक्र उस समय किया है जब भारत के इस पड़ोसी देश में बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है।
बांग्लादेश को आजाद कराने भारतीय सेना ने पाकिस्तानी से लड़ा था युद्ध
गौरतलब है कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोगों को सैन्य, राजनयिक और मानवीय सहायता प्रदान की। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। बता दें कि यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के राजनीतिक वापसी की चर्चा जोर पकड़ रही है। 1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र कर पीएम मोदी ने बांग्लादेश को संदेश दिया है कि बांग्लादेश के निर्माण में भारत का रोल दोनों देशों के बीच रिश्तों का रेफरेंस प्वाइंट है। गौरतलब है कि शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद बांग्लादेश के नए शासन ने भारत से टकराव वाला रुख अपनाया है। लेकिन भारत पर कई चीजों के लिए निर्भर रहने वाला बांग्लादेश अब घुटनों पर आ रहा है।
बिमटेक शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी से मिल सकते है यूनुस
बांग्लदेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा जताई है और इस बाबत भारत को अपना संदेश भेजा है। चर्चाएं हैं कि बैंकॉक में 3-4 अप्रैल को होने वाले बिमस्टेक शिखर सम्मेलन के दौरान यूनुस प्रधानमंत्री मोदी से मिल सकते हैं। लेकिन पीएम मोदी मोहम्मद यूनुस से मिलेंगे या नहीं इस मुद्दे पर नई दिल्ली ने अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले एक संसदीय समिति को बताया था कि बांग्लादेश के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि कार्यक्रम के दौरान मोदी की द्विपक्षीय बैठकों की घोषणा बाद में की जाएगी।