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90 प्लस की उम्र में जिंदा फोटोग्राफी का कौशल

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ममता यादव।

90  प्लस की उम्र में जब लोग जीवन से हार मानने लगते हैं चलने-फिरने को लाचार नजर आते हैं ऐसे में कहीं कई कार्यक्रमों में एक बुजुर्ग अपने एंगल और फ्रेम सेट करते हुए फोटोग्राफी करते नजर आते हैं। चाहे कुर्सी पर खड़े होकर ही क्यों न फोटो लेना है। अपने मोबाइल के साथ वे लगातार सक्रिय दिखाई देंगे। ऐसे ही जिंदादिल इंसान हैं 92 साल के जगदीश जगदीश कौशल ।

मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग में सेवाएं देकर रिटायर हुए जगदीश कौशल को लंबा समय हो गया मगर वे आज भी खुद को रिटायर नहीं मानते। इनकी सक्रियता देखकर एक ही विचार मन में आता है उम्र 90 है तो क्या कैमरे का शौक और जिंदगी से प्यार तो जिंदा है।

19 सितम्बर 1933, को जन्मे बताते हैं कि जब फोटोग्राफी का शौक चढ़ा, तो सोच लिया कि इससे ही दुनिया देखनी है।” आज भी उनके पास कैमरे की बात करें, तो ऐसे संजीदगी से समझाने लगते हैं मानो यही उनके जीवन का असली मकसद हो।

उनका सरकारी नौकरी का सफर भी बड़ा रोचक रहा। वे बताते हैं जनसंपर्क विभाग में काम करते हुए उन्होंने न जाने कितनी जिम्मेदारियाँ निभाई होंगी, कितने फैसले किए होंगे, जिनसे आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं। सरकारी काम को ईमानदारी और जुनून के साथ निभाना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती की तरह लिया। उनके चेहरे पर वह संतोष साफ झलकता है जो जीवनभर के मेहनत और जिम्मेदारियों को निभाने से आता है।

सिर्फ फोटोग्राफी ही नहीं, कौशल जी का साहित्य और संस्कृति के प्रति भी रूचि बनी हुई है। वे मानते हैं कि किसी भी समाज की आत्मा साहित्य और संस्कृति में बसती है। उनका यह पक्ष भी उतना ही प्रभावशाली है जितना कि उनका प्रशासकीय कार्य।

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