पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 26वें स्थापना दिवस पर पार्टी के टूटने पर शरद पवार का दर्द छलका है। उन्होंने कहा है कि कभी नहीं सोचा था कि पार्टी में विभाजन होगा। पवार ने चुनौतियों के बावजूद पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की सराहना की। पवार ने कहा, कुछ लोग दूसरी विचारधाराओं के साथ हो लिए और यह विभाजन बढ़ गया। मैं आज इसके बारे में बात नहीं करना चाहता लेकिन जो लोग पार्टी के प्रति वफादार रहे, वे हमारी पार्टी की विचारधारा के कारण रहे। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी।
पवार ने कहा कि पार्टी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन आप बिना हतोत्साहित हुए पार्टी को आगे ले जाते रहे। पार्टी में विभाजन हुआ। हमने कभी नहीं सोचा था कि पार्टी बंट जाएगी लेकिन ऐसा हुआ। उन्होंने कहा, इस पर ध्यान मत दीजिए कि कौन छोड़कर गया है या कौन शामिल हुआ है। अगर हम एकजुट रहेंगे और आम लोगों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे तो हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। पवार ने कहा कि पार्टी के कई कार्यकर्ता जनसेवा के लिए सर्मिपत हैं और वे ही पार्टी की असली ताकत हैं।
एकजुट रहेंगे तो सत्ता में जरूर आएंगे
उन्होंने कहा, सत्ताा की चिंता मत करो। अगर हम एकजुट रहेंगे तो सत्ता अपने आप आएगी। मैं राज्य में इस संभावना को देख सकता हूं। पवार ने कहा कि दो से तीन महीने में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं, इसलिए पार्टी नेतृत्व हर जिले में राकांपा (एसपी) के प्रतिनिधियों से बात करेगा और तय करेगा कि चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ा जाए या गठबंधन में।
पवार ने कार्यकर्ताओं से कही यह बात
उन्होंने कहा, हमें इस बात पर काम करना होगा और विचार करना होगा कि युवाओं को कैसे अवसर दिया जाए तथा यह भी देखना होगा कि हम नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को कैसे मैदान में उतार सकते हैं, क्योंकि उनके लिए 50 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है। उन्होंने कहा कि राकांपा (एसपी) राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की नयी पीढ़ी तैयार करने के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य में नया नेतृत्व लाकर इतिहास रचेगी।
2023 में विभाजित हो गई थी राकांपा
बता दें कि शरद पवार द्वारा गठित राकांपा जुलाई 2023 में उस समय विभाजित हो गई थी जब उनके भतीजे अजित पवार शिवसेना-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के गठबंधन वाली सरकार में शामिल हो गए थे। पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह अजित पवार गुट को दिया गया जबकि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री की अगुआई वाले गुट का नाम राकांपा (शरदचंद्र पवार) रखा गया।