संयुक्त राष्ट्र। पहलगाम आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। यह खूनी खेल सीमापार से आए दहशदर्गों ने खेला था। हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। इन सब के बावजूद पडोसी देश यह मानने के लिए तैयार नहीं हो रहा था कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमले को अंजाम दिया था, लेकिन अब इस मामले में यूएन की ताजा रिपोर्ट में पाकिस्तान की एक बार फिर पोल खोल दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह हमला पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के समर्थन के बिना संभव नहीं था।
दरअसल यूएनएससी में आईएसआईएल (दाएश), अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों की निगरानी करने वाली टीम ने 36वीं रिपोर्ट पेश की। इसमें 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर जानकारी दी गई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम ने कहा कि द रेजिस्टेंस फ्रंट ने दो बार पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी और हमले की जगह की तस्वीरें भी जारी की थी। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के सपोर्ट के बिना नहीं हो सकता था।
रिपोर्ट में कहा गया लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ के बीच संबंध थे। जबकि भारत ने कहा कि यह हमला टीआरएफ द्वारा किया गया था, जो लश्कर का पर्याय है। रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान ने इन विचारों को अस्वीकार कर दिया और कहा कि लश्कर-ए-तैयबा निष्क्रिय हो चुका है। रिपोर्ट में कहा गया कि हमले के बाद से क्षेत्रीय संबंध अभी भी नाजुक बने हुए हैं। इससे खतरा है कि आतंकी समूह इन क्षेत्रीय तनावों का फायदा उठा सकते हैं।
आईएसआईएल कर रहा दो हजार लड़ाकों की भर्ती
प्रतिबंध निगरानी टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि आईएसआईएल-के मध्य और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है। लगभग दो हजार लड़ाकों के साथ आईएसआईएल-के (इस्लामिक स्टेट खुरासान) ने अफगानिस्तान के अंदर और बाहर, मध्य एशियाई राज्यों और रूसी उत्तरी काकेशस में भर्ती जारी रखी। रिपोर्ट में कहा गया कि उत्तरी अफगानिस्तान और पाकिस्तानी सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों में आईएसआईएल-के ने मदरसों में बच्चों को आत्मघाती विचारधारा से परिचित कराया। साथ ही लगभग 14 वर्ष की आयु के नाबालिगों के लिए आत्महत्या प्रशिक्षण पाठ्यक्रम स्थापित किया। आईएसआईएल-के ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों और विश्व स्तर पर अपनी गतिविधियां स्थापित करने की कोशिश की।
अफगानिस्तान में अलकायदा के प्रशिक्षण केंद्र
रिपोर्ट में कहा गया कि अफगानिस्तान में अलकायदा के कई प्रशिक्षण स्थल होने की सूचना मिली है। साथ ही तीन नए स्थलों की पहचान की गई है। हालांकि ये संभवतः छोटे और अल्पविकसित होंगे। इन जगहों पर कथित तौर पर अलकायदा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) दोनों के लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया जाता था। टीटीपी के पास लगभग 6,000 लड़ाके थे और उसे अफगानिस्तान में अधिकारियों से लगातार पर्याप्त रसद और संचालनात्मक सहायता मिलती रही। कुछ सदस्य देशों ने बताया कि टीटीपी ने आईएसआईएल-के के साथ सामरिक स्तर के संबंध बनाए रखे थे। टीटीपी ने इस क्षेत्र में लगातार बड़े हमले किए। एक सदस्य देश ने बताया कि जनवरी 2025 में टीटीपी ने बलूचिस्तान में आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया था।
बीएलए और टीटीपी के बीच संबंध का जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सदस्य देशों ने बताया कि दक्षिणी अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और टीटीपी के बीच बेहतर संबंध थे। उनके चार साझा प्रशिक्षण शिविर चलते थे। इसमें अलकायदा वैचारिक और हथियार प्रशिक्षण प्रदान करता था। बीएलए ने जब हाल ही में ट्रेन को हाईजैक किया था। इस हमले में बीएलए की क्षमता और क्रूरता में इजाफा देखने को मिला। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) का आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा बढ़ना भी बड़ी चिंता का विषय है।