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एक व्यक्ति सेवा में तो अन्य को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार नहीं

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मध्य प्रदेश में ग्वालियर हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र यादव की युगल पीठ ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए दायर एक अपील को खारिज कर दिया।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि मृत सरकारी कर्मचारी के परिवार में कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में है, तो अन्य सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार नहीं मिलेगा।

बहोड़ापुर निवासी रंजीत सिंह के पिता जेल प्रहरी के पद पर कार्यरत थे। 14 मई 2022 को उनका निधन हो गया था। रंजीत सिंह ने 26 मई 2022 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया।

रंजीत का आवेदन 21 जुलाई को यह कहकर अस्वीकृत कर दिया गया कि उनके दोनों भाई पहले से नौकरी में थे; एक सरकारी सेवा में और दूसरा आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में।

बाद में, रंजीत के एक भाई ने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। इस आधार पर रंजीत ने फिर से अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन इस बार भी आवेदन खारिज कर दिया गया।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति केवल नीति के दायरे में आने वाले मामलों में ही दी जा सकती है। यह तत्काल आर्थिक संकट से राहत देने का एक उपाय है, न कि कोई अधिकार।

न्यायालय ने जोर दिया कि मृतक के निधन के समय रंजीत के दोनों भाई सेवा में थे, इसलिए नियुक्ति से इनकार करना नीति के अनुरूप था। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बाद में भाई द्वारा त्यागपत्र देने से अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार दोबारा उत्पन्न नहीं होता।

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