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अब भारतीय मानक समय से चलेंगी पूरे देश की घड़ियां

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केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि अब सभी कानूनी, व्यावसायिक, डिजिटल और प्रशासनिक कार्यों में भारतीय मानक समय (आईएसटी) का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को दी।

उन्होंने कहा कि इस पहल से डिजिटल लेन-देन अधिक सुरक्षित होंगे, बिजली-पानी जैसी सेवाओं में बिलिंग सटीक होगी, साइबर अपराध के खतरे कम होंगे और यातायात व संचार में समय की एकरूपता बनी रहेगी। अभी कई प्राणाली विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर हैं। आईएसटी को अनिवार्य बनाने के लिए सरकार जल्द ही ‘विधिक मापविज्ञान (भारतीय मानक समय) नियम, 2025’ अधिसूचित करेगी। इन नियमों का मसौदा जनवरी 2025 में जनता और हितधारकों की राय के लिए जारी किया गया था।

श्री जोशी ने कहा, हम जल्द ही इन नियमों को अधिसूचित करने जा रहे हैं। अब हम ‘एक देश, एक समय’ की दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज के डाटा आधारित युग में अगर घड़ियां एक जैसी न हों तो डिजिटल गड़बड़ियां, जांच में दिक्कतें और नेटवर्क की कमजोरियां पैदा होती हैं। आज कई प्रणाली जीपीएस जैसे विदेशी समय स्रोत पर आधारित हैं, जिससे साइबर हमले, मेल न खाने और समय की सही पहचान न हो पाने का खतरा बना रहता है।

मंत्री ने कहा कि यह परियोजना लंबे समय से चली आ रही आईएसटी को आधिकारिक और कानूनी रूप से लागू करने की कमी को पूरा करेगा। उन्होंने बताया कि 100 से ज्यादा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया, जिनमें टेलीकॉम, बैंकिंग, रेलवे जैसे क्षेत्र शामिल थे। सरकारी बयान में कहा गया कि यह पहल आम लोगों के लिए डिजिटल सुरक्षा, सही बिलिंग, कम साइबर खतरे और सेवा में पारदर्शिता को सुनिश्चित करेगी।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि वित्तीय बाजार, पावर ग्रिड, टेलीकॉम और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में एक समान और सटीक समय प्रणाली होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है। इस पहल के तहत पांच क्षेत्रीय लैब (आरएसएसएल) बनाए जा रहे हैं – अहमदाबाद, बंगलूरू, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में। इन लैब में परमाणु घड़ियां लगाई जाएंगी और एनटीपी व पीटीपी जैसी सुरक्षित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि समय की सटीकता माइक्रोसेकंड तक सुनिश्चित की जा सके।

उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि अब तक हम विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर थे। अब हमने समय की पूरी प्रणाली को भारतीय बना दिया है और समय प्रसारण की प्रक्रिया अब तैयार है। उन्होंने बताया कि कानूनी और सुरक्षित आईएसी लागू करना, रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में एकरूपता और सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।

श्री खरे ने कहा कि इस पहल के तहत 2018 से विभिन्न मंत्रालयों और तकनीकी संस्थाओं के साथ लगातार बातचीत और समन्वय किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पहल भारत में एक सुरक्षित और भरोसेमंद डिजिटल पारिस्थितिकीतंत्र (इकोसिस्टम) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सम्मेलन में मौजूद सभी हितधारकों ने इस पहल को समर्थन दिया।

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