सिंगापुर। भारत के चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को सिंगापुर में आयोजित 22वें शांग्री-ला डायलॉग में शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में आतंकवाद को लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को खूब खरी-खोटी सुनाई। इस दौरान जनरल चौहान ने पाकिस्तान चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि सिर्फ भारत नहीं बदला, रणनीति भी बदली है। उन्होंने ‘भविष्य की चुनौतियों के लिए डिफेंस इनोवेशन सॉल्यूशन’ विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि रक्षा आधुनिकीकरण के लिए हम आत्म निर्भरता की तरफ बढ़ रहे हैं। हम देख रहे हैं कि देश में रक्षा क्षेत्र में नए स्टार्टअप, एमएसएमई और बड़े उद्योगों में निवेश बढ़ रहा है।’
पाकिस्तान को लेकर जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत ने कई बार पाकिस्तान के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, लेकिन हमेशा हमें पाकिस्तान से बदले में दुश्मनी ही मिली है। उन्होंने कहा कि हालात देखते हुए अलगाववाद की रणनीति ही बेहतर दिखाई दे रही है। बता दें कि शांग्री-ला डायलॉग एशिया का प्रमुख रक्षा मंच है, जिसका आयोजन शुक्रवार से रविवार तक हो रहा है। इस महत्वपूर्ण संवाद के दौरान जनरल चौहान ने ‘भविष्य के युद्ध और युद्धकला’ विषय पर संबोधन दिया। और पाकिस्तान को आईना दिखाया। जनरल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित कार्यक्रम के दरम्यान आॅस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, ब्रिटेन समेत कई देशों के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों और सैन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की। इन बैठकों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाने, रक्षा साझेदारी को मजबूत करने और साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने पर चर्चा हुई।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर क्या बोले सीडीएस
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ‘भारत और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर अब हम बिना रणनीति के काम नहीं कर रहे हैं। जब हमने आजादी हासिल की थी, तब पाकिस्तान हर पैमाने पर हमसे आगे था, सामाजिक, आर्थिक और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद। लेकिन आज ज्यादा विविधता के बाद भी सभी मोर्चों आर्थिक, मानव विकास और सामाजिक सद्भाव के मामले में भारत आगे है। यह संयोग से नहीं हुआ बल्कि यह दीर्घकालिक रणनीति का परिणाम है।’ सीडीएस जनरल चौहान ने 2014 की कूटनीतिक पहल को याद दिलाया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। जनरल चौहान का कहना था कि लेकिन तालियां बजाने के लिए दो हाथ चाहिए होते हैं। उन्होंने कहा, अगर बदले में सिर्फ शत्रुता ही मिले तो फिलहाल दूरी बनाए रखना भी एक समझदारी भरी रणनीति है।
हिंद महासागर क्षेत्र पर हमारा पूरा फोकस
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ‘हमारा हिंद महासागर क्षेत्र पर पूरा फोकस है। खासकर उत्तरी बंगाल की खाड़ी में। हमारी भूराजनैतिक स्थिति ऐसी है कि हम उत्तर की तरफ से हिल भी नहीं सकते क्योंकि चीन के साथ तनाव जारी है। न ही हम पूर्व की तरफ बढ़ सकते हैं क्योंकि म्यांमार में अस्थिरता है।’ सीडीएस ने कहा कि ‘हम मध्य और पश्चिम एशिया से राजनीतिक रूप से जुड़े हैं, लेकिन भू-राजनीतिक रूप से अलग हैं। ऐसे में समुद्र हमारे लिए बेहद अहम हो जाता है। हमारे द्वीपीय क्षेत्र, हिंद महासागर में हमें गहराई तक पहुंच देते हैं, जो हमारे लिए रणनीतिक तौर पर फायदेमंद है और हमें बेहद समझदारी से इसका इस्तेमाल करना होगा। हिंद महासागर के उत्तर में स्थित कुछ क्षेत्र हमेशा से हमारे लिए चिंता का विषय रहे हैं, लेकिन हमें सिर्फ उत्तर तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। अब हम दक्षिण की तरफ भी देख रहे हैं, जहां हमारे मेरीटाइम हितों के लिए काफी संभावनाएं हैं।’
‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा भारत’
बीते दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच हुई संघर्ष के दौरान भारत ने स्वदेशी हथियारों से पाकिस्तान को धूल चटा दी। इस पर सीडीएस ने कहा कि ‘हमने आकाश मिसाइल सिस्टम आदि स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल किया। अब हम अपना नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर भी बना रहे हैं ताकि बिना विदेशी वेंडर्स पर निर्भर हुए अपने एयर डिफेंस को बेहतर किया जा सके। हमने विभिन्न स्त्रोतों से रडार्स को एकीकृत किया और हालिया संघर्ष में ये काफी अहम साबित हुआ।