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जर्जर मकानों की सुध नहीं: बारिश में बनेंगे जान के दुश्मन, अकेले भोपाल-इंदौर में ही हैं ऐसे हजारों मकान

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भोपाल। मध्यप्रदेश में हजारों मकान व निर्माण संरचनाएं जर्जर हो चुकी है। बारिश पूर्व इनकी सुध नहीं ली जा रही है। तेज बारिश व तूफान में इनका गिरना तय है, जिसमें जानमाल को खतरा हो सकता है। प्रदेश में बीते वर्ष बारिश की शुरूआत के बाद 50 से ज्यादा बड़ी घटनाएं हुईं, जिसमें मकान, उनकी दीवारें, पुरानी निर्माण संरचनाएं गिरी। इसके कारण सागर में एक साथ 9 बच्चों की मौत हो गई थी। इसी तरह दतिया में एक दीवार के गिरने से 3 लोग एक साथ मौत के मुंह में समा गए थे। ये दो ही घटनाएं नहीं हुई, बल्कि प्रदेश में 50 से अधिक घटनाओं में दर्जनों लोग अपनी जान गंवा बैठें थे।

सीएम ने कहा था, खतरनाक निर्माण तोड़े
घटनाओं को देखते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि था कि जिन पुराने निमार्णों की जरुरत नहीं है और जो बारिश की वजह से गिर रहे हैं, खासकर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने व जर्जर मकानों को तोड़ दें। सीएम ने यह बात वीडियो कान्फ्रेंसिंग में संभागायुक्त, कलेक्टरों को कही थी। जिसे एक वर्ष पूरे होने वाले हैं। अब तक इन मकानों की सुध किसी ने नहीं ली। लोगों का कहना है कि यदि कहीं कोई कार्रवाई हुई भी है तो वहां केवल खानापूर्ति हुई है।

भोपाल-इंदौर में ही हजारों मकान
अकेले भोपाल व इंदौर में ही हजारों मकान है, जो पुराने हो चुके हैं, इन्हें तोड़ा नहीं जा रहा है। हर साल भोपाल में निगम से करीब 5 हजार से अधिक नोटिस जारी होते है, लेकिन इतने मकान तोड़े नहीं जाते। इस अनदेखी की वजह कई बार निगम के अफसर ही होते है। जब एक निगम में अधिकारी स्वयं मानते हैं कि 5 हजार मकान जर्जर है और उन्हें गिराया जाना चाहिए तो दूसरे शहरों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। उधर ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई मकान जर्जर है, जिन्हें तोड़ने की जहमत नहीं उठाई जा रही है।

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