इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत सरकार द्वारा लिए जा रहे ताबड़तोड़ फैसलों से पड़ोसी देशी पाकिस्तान की नींद हराम हो गई है। पाकिस्तान को सबसे बड़ा खौफ है कि भारत पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए उस पर कभी भी हमला कर सकता है। उसकी दहशत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आधी रात को आनन-फानन में आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद असीम मलिक को एनएसए नियुक्त किया है। एनएसए का पद बीते 3 साल से खाली पड़ा था। मलिक की नियुक्ति के बारे में एक औपचारिक अधिसूचना भी जारी की गई है।
बता दें कि मलिक को सितंबर 2024 में आईएसआई का प्रमुख नियुक्त किया गया था। नियुक्ति भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और आंतरिक-बाहरी सुरक्षा चुनौतियों के बीच की गई है। पाकिस्तान में एनएसए का यह पद 2022 से खाली था। तब मुईद यूसुफ ने पद से इस्तीफा दे दिया था। मलिक की नियुक्ति 29 अप्रैल को की गई है, लेकिन मीडिया में इसकी जानकारी बुधवार देर रात आई। इससे एक दिन पहले ही यानी 30 अप्रैल को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया। खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया।
पाक सेना में आईएसआई प्रमुख का पद माना जाता है सबसे अहम
ज्ञात हो कि पाकिस्तानी सेना में आईएसआई प्रमुख का पद सबसे अहम माना जाता है। ऐसे में उस पर बैठे शख्स को ही एनएसए की जिम्मेदारी सौंपना पाकिस्तान की बौखलाहट दिखाता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान छटपटा रहा है। उसे डर है कि भारत आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। आतंकवाद का पनाहगार होने के नाते भारत का कहर उस पर ही बरसेगा। उसके कई मंत्री ऐसे बयान भी दे चुके हैं कि भारत उस पर कभी भी हमला कर सकता है।
अमेरिका से गिड़गिड़ाया पाकिस्तान
इस बीच पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिका से गिड़गिड़ाते हुए कहा है कि वह भारत पर दबाव बनाए। उसे पहलगाम हमले की जांच के लिए मनाए। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से शरीफ ने यह भी कहा कि भारत के आक्रामक रुख से हालात बद से बदतर हो सकते हैं।
‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका भारत के साथ’
अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने बुधवार रात शहबाज शरीफ और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात की थी। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। अमेरिका ने दोहराया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह भारत के साथ है।