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GIS पर सियासत: नाथ बोले-बड़ी-बड़ी घोषणाओं से नहीं मिलेंगे रोजगार के अवसर, सरकार जनता को कर रही गुमराह

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छिंदवाड़ा। राजधानी भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का समापन तो हो गया है, लेकिन इसको लेकर सियासत अब भी जारी है। कांग्रेस आए दिन जीआईएस को लेकर मोहन सरकार पर हमला बोल रही है। इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जीआईएस पर सवाल उठाते सरकार पर निशाना साधा है। गुरुवार को छिंदवाड़ा के दौरे पर पहुंचे नाथ ने मीडिया से चर्चा करते हुए करते हुए कहा कि प्रदेश में इन्वेस्टर मीट तो हो गई, लेकिन यह धरातल पर कितना आएगी यह देखना बाकी है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि दस सालों में कई समिट हुई लेकिन बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिले। इस दौरान नाथ ने मप्र की जीडीपी को लेकर भी चिंता और नीतियों पर सवाल भी उठाए।

नाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार की घोषणाओं को सिर्फ दिखावा बताते हुए कहा कि बड़ी-बड़ी घोषणाओं से रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे। सरकार सिर्फ आंकड़े दिखाकर जनता को गुमराह कर रही है, जबकि धरातल पर कोई बदलाव नहीं हो रहा।उन्होंने सवाल किया कि इन्वेस्टर मीट के माध्यम से कितनी परियोजनाएं वास्तव में शुरू हुईं और उनमें से कितनी युवाओं को रोजगार देने में सफल रहीं। कमलनाथ ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, पिछले 10 वर्षों में कई इन्वेस्टर मीट हुईं, लेकिन रोजगार के अवसर आज तक उपलब्ध नहीं हो पाए।

जीडीपी पर जताई चिंता
कमलनाथ ने मध्यप्रदेश की जीडीपी को लेकर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य में जीडीपी का गिरता ग्राफ चिंता का विषय है। जिस तरह से जीडीपी रेशो संकट में है, यह प्रदेश के लिए खतरनाक संकेत है। अगर यही स्थिति रही, तो भविष्य में यह बड़ी चुनौती बन सकती है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को सिर्फ आंकड़ों के बजाय वास्तविकता पर ध्यान देना चाहिए और आर्थिक सुधार के ठोस कदम उठाने चाहिए।

सरकार की नीतियों पर सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य की मौजूदा आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए जरूरी है कि प्रदेश में बेहतर बुनियादी ढांचे और सुगम औद्योगिक नीति का निर्माण हो। सिर्फ सम्मेलनों और विज्ञापनों से निवेश नहीं आता, इसके लिए अनुकूल माहौल बनाना होता है। कमलनाथ ने आगे कहा कि मौजूदा सरकार रोजगार सृजन में विफल रही है और युवाओं को बेहतर अवसर देने में असमर्थ है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार के समय औद्योगिक विकास पर जोर दिया गया था, लेकिन वर्तमान में यह ठप पड़ गया है।

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