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एक हजार से ज्यादा महिलाएं कर रही जल गुणवत्ता परीक्षण का कार्य

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नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग शहरी क्षेत्र की महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिये उन्हें रोजगार से जोड़ने के लगातार प्रयास कर रहा है। प्रदेश के 55 नगरीय निकायों में अमृत 2.0 योजना के अंतर्गत अमृत मित्र के रूप में 312 स्वसहायता समूह की एक हजार 28 महिला सदस्यों को जल गुणवत्ता परीक्षण का कार्य सौंपा गया है।

इस कार्य के लिये महिलाओं को करीब 3 करोड़ रूपये की राशि के कार्य आदेश जारी किये गये हैं। नगरीय निकायों ने महिला स्वसहायता समूहों को बगीचों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी सौंपी है। केन्द्र सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘वुमन फॉर ट्रीज’ में स्वसहायता समूहों की महिलाओं को लगाये गये पौंधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गयी है इसके ऐवज में उन्हें आर्थिक सहायता दी जायेगी।

खाद्य प्रसंस्करण की गतिविधियों से जोड़ा गया

शहरी क्षेत्र के महिला स्वसहायता समूहों को केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों से जोड़ा गया है। शहरी क्षेत्र के 211 स्वसहायता समूह के 1142 समूह सदस्यों को 3 करोड़ 50 लाख रूपये की राशि एरिया लेबल फेडरेशन के माध्यम से सौंपी गयी है। राज्य सरकार का प्रयास है कि ये महिलाएं इन गतिविधियों से जुड़कर लखपति दीदी बनें।

स्वच्छ भारत मिशन में भी कार्य कर रही हैं महिलाएं

शहरी क्षेत्र की महिलाएं अपने परिवार को आर्थिक रूप से बनाने के लिये उन्हें स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की गतिविधियों से जोड़ा गया है। यह महिलाएं स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रमों, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और सेनिटेशन जैसी गतिविधियो में कार्य कर रही है। अब तक 202 स्वसहायता समूह को इस कार्य से जोड़ा गया है। शहरी क्षेत्रों में संचालित होने वाले आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार वितरण कार्यक्रम में डे-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत एक हजार 689 शहरी स्वसहायता समूहों की महिलाओं को 12 हजार 454 आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार वितरण का कार्य सौंपा गया है। इसी के साथ प्रदेश में 1800 स्वसहायता समूहों की महिला सदस्यों द्वारा स्कूल के बच्चों के गणवेश तैयार करने का कार्य किया जा रहा है।

रैन बसेरा में महिलाओं के रूकने की व्यवस्था

शहरी क्षेत्र में 62 नगरीय निकायों में संचालित 117 रैन बसेरों में महिलाओं के अलग से रूकने की व्यवस्था की गई है। निकायों द्वारा वहां सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गये हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।

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