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वक्फ संशोधन बिल को मोदी कैबिनेट की हरी झंडी, सरकार बजट सत्र के दूसरे सेशन में सदन में कर सकती है पेश

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नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट से वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी मिल गई है। कैबिनेट ने जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर गुरुवार को बिल को हरी झंडी दी। सूत्रों की मानें तो 10 मार्च से शुरू होने वाले संसद में इस बिल को पेश किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले 13 फरवरी को वक्फ बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश हुई थी। विपक्ष ने रिपोर्ट को फर्जी बताया था। इसके बाद संसद में हंगामा भी हुआ था। वहीं वक्फ बिल को पहली बार पिछले साल अगस्त महीने में पेश किया गया था। लेकिन विपक्ष के विरोध की वजह से इसे संसदीय समिति को भेजा गया था। बाद में कुछ संशोधनों के बाद जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली इस समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

सूत्रों के अनुसार, 19 फरवरी की कैबिनेट की बैठक में इन संशोधनों को मंजूरी दी गई। इन संशोधनों के आधार पर बिल को मंजूरी दी गई है। इसे संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान पेश किया जा सकता है। बजट सत्र का दूसरा हिस्सा 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चलेगा। जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) की रिपोर्ट के आधार पर वक्फ बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया गया है। संसदीय समिति ने वक्फ बिल में नए बदलावों पर अपनी रिपोर्ट को 29 जनवरी को मंजूरी दी थी। इस रिपोर्ट के पक्ष में 15 और विरोध में 14 वोट पड़े थे। रिपोर्ट में उन बदलावों को शामिल किया गया है, जो भाजपा सांसदों ने दिए थे। विपक्षी सांसदों ने वक्फ बोर्डों को खत्म करने की कोशिश बताते हुए असहमति नोट जमा कराए थे। विपक्ष ने वक्फ बिल को लेकर कई आपत्तियां दर्ज कराई थीं। इसके अलावा ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाने के प्रस्ताव का विरोध भी किया था।

विपक्ष का सवाल- जेपीसी रिपोर्ट से हमारी असहमतियों को हटाया गया
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था जेपीसी की यह रिपोर्ट फर्जी है। इसमें विपक्ष की असहमतियों को डिलीट कर दिया गया। ये असंवैधानिक है। जेपीसी सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘हमने अपना पक्ष रखा। इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं, लेकिन कूड़ेदान में कैसे डाल सकते हैं?

विपक्ष से बोले शाह- संसदीय प्रणाली के तहत रिपोर्ट में जोड़ सकते हैं अपनी बातें
विपक्ष के आपत्ति के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई थी कि उनकी राय को इसमें नहीं जोड़ा गया। मैं कहना चाहता हूं कि विपक्ष के सदस्य संसदीय कार्य प्रणाली के तहत जो कुछ भी जोड़ना चाहते हैं, वो जोड़ सकते हैं। उनकी पार्टी को इसमें कोई भी आपत्ति नहीं है।

30 जनवरी को जेपीसी अध्यक्ष ने लोकसभा स्पीकर को रिपोर्ट सौंपी थी
जेपीसी ने 30 जनवरी को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी थी। इस दौरान जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे सहित अन्य भाजपा सांसद मौजूद रहे थे। विपक्ष का कोई सांसद नजर नहीं आया था। जेपीसी ने 29 जनवरी को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। 16 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला। वहीं 11 मेंबर्स ने विरोध किया। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई।

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